भारत को मंदिरों की भूमि कहा जाता है, जहां प्रत्येक देवता और देवी की आराधना श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। इन्हीं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है अन्नपूर्णा मंदिर, जिसे अन्न की देवी माँ अन्नपूर्णा का धाम माना जाता है। हिंदू धर्म में माँ अन्नपूर्णा को समृद्धि और अन्नदान की देवी कहा जाता है। Annapurna Mandir न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
Famous Annapurna Mandir
भारत में माँ अन्नपूर्णा के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं, बल्कि अपने अद्भुत इतिहास और वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध हैं। लोकप्रिय मंदिरें निम्न है जिसके विषय में निचे विस्तार से बताया गया है :
- अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (Annapurna Temple Varanasi)
- अन्नपूर्णा देवी मंदिर, कन्नौज (Annapurna Temple Kannauj)
- अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर (Annapurna Mandir Indore)
- अन्नपूर्णा माता मंदिर, टिटागढ़, पश्चिम बंगाल (Annapurna Mandir Titagarh, Pashchim Bangal)
Annapurna Temple Varanasi

वाराणसी का Shree Annapurna Mandir सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसे अन्न की देवी का प्रमुख धाम माना जाता है। यह मंदिर बाबा विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित है और भक्तों की अपार श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर में माँ अन्नपूर्णा के दर्शन करने से भक्तों को कभी अन्न की कमी नहीं होती।
मंदिर कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग: लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (25 किमी दूर)
- रेल मार्ग: वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन (करीब 3 किमी दूर)
- सड़क मार्ग: वाराणसी भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। स्थानीय ऑटो, टैक्सी और रिक्शा मंदिर तक सुगमता से पहुंचाते हैं।
अन्नपूर्णा देवी मंदिर, कन्नौज

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में स्थित Annapurna Mata Mandir एक सिद्ध पीठ माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ की मिट्टी चमत्कारी है और इसे खेतों में डालने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है। हर साल आषाढ़ी पूर्णिमा पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है।
मंदिर का इतिहास
- 16वीं शताब्दी में राजा प्रीतम सिंह द्वारा निर्मित।
- राजा को स्वप्न में देवी अन्नपूर्णा के दर्शन हुए और उन्होंने यहाँ खुदाई करवाई, जहाँ देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई।
- इस मंदिर की मिट्टी को श्रद्धालु प्रसाद रूप में घर ले जाते हैं।
मंदिर तक कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग: कानपुर हवाई अड्डा, जो कन्नौज से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेल मार्ग: कन्नौज रेलवे स्टेशन, जो मंदिर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर है। तिर्वा रेलवे स्टेशन भी मंदिर के नजदीक स्थित है, जहाँ से लोकल वाहन उपलब्ध होते हैं।
- सड़क मार्ग: कन्नौज शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कन्नौज बस स्टैंड से तिर्वा तक नियमित बसें उपलब्ध हैं। कन्नौज से मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी और ऑटो-रिक्शा की सुविधा उपलब्ध है।
Annapurna Mandir Indore

Annapurna Mandir Indore Madhya Pradesh में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर चार विशाल हाथी की मूर्तियाँ इसकी भव्यता को और भी बढ़ाती हैं। Annapurna Mandir Indore में भगवान शिव, हनुमान और कालभैरव के मंदिर भी स्थित हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग: देवी अहिल्या बाई होल्कर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (अंतरराष्ट्रीय उड़ानें जल्द शुरू होंगी)
- रेल मार्ग: इंदौर रेलवे स्टेशन से सीधा संपर्क
- सड़क मार्ग: इंदौर शहर बस सेवा और चार्टर्ड बस सेवाओं से जुड़ा हुआ है।
अन्नपूर्णा माता मंदिर, टिटागढ़, पश्चिम बंगाल

गंगा नदी के किनारे, रस्मणि घाट, टिटागढ़ में स्थित यह मंदिर नव रत्न (नौ शिखर) वास्तुकला में बना है और दक्षिणेश्वर भुवनेश्वरी मंदिर से मिलता-जुलता है। मंदिर में माँ अन्नपूर्णा की अष्टधातु से बनी प्रतिमा और भगवान शिव की चाँदी की प्रतिमा स्थित है।
मंदिर का इतिहास
- 12 अप्रैल 1875 को रानी रासमणि की सबसे छोटी बेटी जगदंबा देवी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
- इस मंदिर का उद्घाटन रामकृष्ण परमहंस द्वारा किया गया था।
- यहाँ एक विशाल नाटमंदिर, छह शिव मंदिर और दो नहबतखाने भी स्थित हैं।
मंदिर तक कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग: नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (20 किमी दूर)।
- रेल मार्ग: टिटागढ़ रेलवे स्टेशन, सियालदह से लोकल ट्रेन उपलब्ध।
- सड़क मार्ग: कोलकाता और बैरकपुर से बस, टैक्सी, ऑटो की सुविधा।
इन मंदिरों में मनाये जाने वाले माँ अन्नपूर्णा के विशेष त्योहार
माँ अन्नपूर्णा की आराधना विभिन्न अनुष्ठानों और उत्सवों के माध्यम से की जाती है।
- अन्नकूट उत्सव: दीपावली के अगले दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन माँ अन्नपूर्णा को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है।
- आषाढ़ी पूर्णिमा मेला: कन्नौज के अन्नपूर्णा माता मंदिर में हर साल भव्य मेला लगता है। हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं।
- नवरात्रि महोत्सव: नौ दिनों तक विशेष पूजा और अर्चना की जाती है। भक्त माँ अन्नपूर्णा की विशेष पूजा कर अन्नदान करते हैं।
Annapurna Mandir न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है। माँ अन्नपूर्णा की कृपा से भक्तों को कभी भी अन्न और समृद्धि की कमी नहीं होती। भारत के विभिन्न स्थानों पर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की भक्ति का केंद्र हैं, बल्कि अपनी अनूठी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी संजोए हुए हैं। अगर आप आध्यात्मिक शांति और अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो इन मंदिरों की यात्रा अवश्य करें।
FAQ
वाराणसी के अन्नपूर्णा माँ मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
वाराणसी हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
मंदिर में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?
राम नवमी, नवरात्रि, अन्नकूट महोत्सव और आषाढ़ी पूर्णिमा जैसे त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
क्या मंदिर में कोई विशेष मान्यता है?
हां, कन्नौज के Annapurna Mata Mandir की मिट्टी को उपजाऊ शक्ति देने वाला माना जाता है, जबकि वाराणसी मंदिर में अन्नपूर्णा देवी की कृपा से कोई भी भक्त अन्न से वंचित नहीं रहता।
दर्शन का सही समय क्या है?
मंदिर सुबह और शाम को दर्शन के लिए खुलते हैं, लेकिन त्योहारों के समय विशेष आरती और भोग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile