रे मन रे मन जो मत गावो हरी के गुण

रे मन रे मन जो मत गावो हरी के गुण भजन हमें भगवान विष्णु के दिव्य गुणों का स्मरण करने और उनकी भक्ति में मन को स्थिर करने की प्रेरणा देता है। यह भजन हमें यह समझाता है कि सांसारिक मोह-माया में उलझने की बजाय, हमें श्रीहरि के गुणगान में समय व्यतीत करना चाहिए। आइए, इस भजन के माध्यम से हरि नाम का गुणगान करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।

Re Man Re Man Mat Gavo Hari Ke Gun

रे मन रे मन जो मत गावो हरी के गुण ।

नयन मेरे तरस रहे, पाने को श्री हरी दर्शन ।
श्रवन मेरे तरस रहे, सुनने को श्री हरी कीर्तन ॥1॥

हाथ मेरे तरस रहे करने को श्री हरी सेवन ।
जिव्हा मेरी तरस रही करने को हरी नाम स्मरण ॥2

दिल मेरा मचल रहा, करने को हरी आलिंगन ।
जीव मेरा तरस रहा पाने को सचिदा आनंद घन ॥3॥

भगवान विष्णु के गुणगान से मन को सच्ची शांति और आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। रे मन रे मन जो मत गावो हरी के गुण भजन हमें यह संदेश देता है कि श्रीहरि की महिमा गाने से ही हमारा जीवन सफल होता है। यदि यह भजन आपको भक्ति से भर देता है, तो गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, श्री हरि विष्णु वंदना, अच्युतं केशवं, और नारायण नाम सुमिरन कर ले जैसे अन्य विष्णु भजनों को भी पढ़ें और करें, जिससे आपकी भक्ति और अधिक प्रगाढ़ हो सके। 🙏✨

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