मात पिता सुत नारी | Maat Pita Sut Naari

मात पिता सुत नारी भजन जीवन के महत्वपूर्ण रिश्तों और भगवान के प्रति भक्ति की भावना को व्यक्त करता है। इस भजन में हम सभी संसारिक संबंधों को पार करते हुए, भगवान के प्रति अपार प्रेम और समर्पण की ओर इशारा करते हैं। भजन हमें यह सिखाता है कि माता-पिता, संतान, और पत्नी जैसे रिश्ते महत्वपूर्ण होते हुए भी, भगवान से बढ़कर कोई और नहीं है। इस भजन के माध्यम से हम अपनी आत्मा को भगवान के प्रति समर्पित करने का मार्ग पाते हैं।

Maat Pita Sut Naari

मात-पिता सुत नारी,ओर इस झूठी दुनिया दारी को
छोङ कर के एक जाना,होगा की नही

क्यो भूले जीवन के राही,दूर कही तेरी मंजिल
सजी धजी यहा रह जाएगी,दुनिया की झूठी महफिल
इस महफिल को पार पाना,होगा की नही

लख चोरासी भटकत तुने,पाया है मानव तन को
राम सुमिरले सुकृत करले,सफल बना इस जीवन को
इस जीवन को सफल बनाना,होगा की नही

क्यो करता है मेरी-मेरी,कोई चीज नही तेरी
कंचन जैसी सुन्दर काया,बज जाए मिट्टी की ढेरी
अन्त समय तुझको पछताना,होगा की नही

जिसने जनम लिया है जग मे,एक दिन उनको जाना है
इक आए इक जाए जगत से,दुनियां मुसाफिर खाना है
सदानन्द कहे हरि गुण गाना,होगा की नही

मात पिता सुत नारी भजन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान के चरणों में श्रद्धा और प्रेम हमें सभी संसारिक रिश्तों से परे आत्मिक संतोष और शांति प्रदान करते हैं। जब हम अपने जीवन को भगवान की भक्ति में समर्पित करते हैं, तब हमें हर रिश्ता और हर स्थिति में सच्ची खुशहाली और संतुलन मिलता है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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