खोजते जिसे स्वयं भगवान भजन एक गहरी और अद्भुत आध्यात्मिक सचाई को उजागर करता है। इस भजन में यह संदेश दिया जाता है कि वह सत्य और दिव्य रूप से जो भगवान को प्रिय होता है, वही वस्तु संसार में खोजने पर मिलती है। जब भगवान स्वयं किसी को खोजते हैं, तो उनका उद्देश्य उस व्यक्ति को प्रेम और आशीर्वाद से भर देना होता है।
Khojte Jise Swayam Bhagwan
कहां छुपा बैठा है अब तक वह सच्चा इंसान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान,
जिसने रूखा सूखा खाया ,
पर न कहीं ईमान गवाया ,
उसने ही यह भोग लगाया ,
जिसे राम ने रूचि से खाया ,
स्वार्थ रहित सेवा ही उसकी , सेवा सुधा समान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥1॥
जिसने जानी पीर पराई ,
परहित में निज देह खपाई ,
जिसने लगन दीप की पाई ,
तिल तिल कर निज देह जलाई ,
उसकी आभा से ही होगा , देवी का सम्मान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥2॥
खोजते जिसे स्वयं भगवान भजन हमें यह बताता है कि भगवान का प्यार और आशीर्वाद उन लोगों तक पहुंचता है जो सच्चे मन से उनकी भक्ति करते हैं। भगवान का मार्गदर्शन और उनकी कृपा हमारे जीवन के सबसे कठिन समय में हमें शांति और संतुष्टि प्रदान करती है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। जय माँ View Profile