खा लै ठाकरा वे | Khaa Lai Thakra Ve

खा लै ठाकरा वे भजन भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्त की गहरी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है। इसमें भक्त भगवान श्री कृष्ण को ठाकुर या स्वामी के रूप में पुकारते हुए उनके आशीर्वाद की याचना करता है। यह भजन यह सिखाता है कि भगवान के आशीर्वाद से ही जीवन के सभी संघर्ष समाप्त हो सकते हैं। भक्त की यह भावना होती है कि भगवान श्री कृष्ण का नाम और आशीर्वाद ही जीवन का सबसे बड़ा आभूषण है, जो हर संकट से उबारने का सामर्थ्य रखता है।

Khaa Lai Thakra Ve

गन्दला दा साग रोटी मक्की दी बनाई आ,
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ
मखनी दा पेडा लस्सी छने विच पाई आ
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

सारे कम छड के मैं तेरे मोहरे बेह गया,
देखन तमाशा जग मेरे पीछे पै गया,
तेरे लई मैं यारा हो जींद तली ते टकाई आ,
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

छड के जमाना लाइया तेरे नाल यारियां ,
भुखियाँ प्यासे राता बेठ के गुजारियां,
लोका देयां ताहनेया हो आरी सीने ते चलाई आ
खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ

हथ जोड़ के आखा जग दा हासा होर बनाई न
दुनिया ने मुख फेर लिया हूँ तू वी मुख प्रताई ना
तू अगर है जिदी ते फिर मैं वी हठ पका हां
पथरा चो बुलाओ मैं वी करन जांदा थका हां
कन खोल के सुन लै तेनु धने जट दा केहना ऐ,
इस निमाने जट दे हथो भोग लगाउना पेना ऐ,
तेनु औना पेना ऐ

खा लै ठाकरा वे भजन हमें यह समझाता है कि भगवान श्री कृष्ण के साथ अपने संबंध को सुदृढ़ करना ही जीवन का सर्वोत्तम उपाय है। जब हम भगवान के नाम का जाप करते हैं और उनकी भक्ति में पूरी श्रद्धा से समर्पित होते हैं, तो हम अपने जीवन को हर प्रकार की परेशानी और संकट से मुक्त कर सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध हो जाता है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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