जब नयना नीर भरे | Jab Nayana Neer Bhare

जब नयना नीर भरे भजन भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है। इस भजन में भक्त अपने नयन (आंखों) से आंसू बहाकर भगवान के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जो एक शुद्ध प्रेम और भावुकता का प्रतीक है। यह भजन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा, भक्ति और प्रेम के पल बहुत ही शुद्ध होते हैं, और जब हम अपने प्रभु के विचारों में लीन होते हैं, तब हमारे हृदय से भावनाएं स्वतः ही छलक पड़ती हैं।

Jab Nayana Neer Bhare

जब नयना नीर भरे जब अँखियाँ नीर भरे

लूट-लूट दधि माँखन खायो,
ग्वाल बाल संग रास रचायो ,
जब बंशी की टेर करे जब नयना नीर भरे

मात यशोदा ओर वृजवासी,
वृन्दावन की गोपीयां उदासी,
जब छोङ के कृष्ण चले जब नयना नीर भरे

दुःशासन की मति गई मारी ,
चीर खैचण की कीवी तैयारी,
जब द्रोपदी टेर करे जब नयना नीर भरे

हरि भक्तो के सदा सहाई,
नरसी जी की नानी बाई ,
जब आकर भाँत भरे जब नयना नीर भरे

सदानन्द कहे सुणलो सब ही ,
हरी को याद करे कोई कब ही ,
हरि आवत आप घरे जब नयना नीर भरे

“जब नयना नीर भरे भजन हमें यह समझाता है कि भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति में एक अद्भुत गहराई होती है, जो केवल दिल से महसूस की जा सकती है। भगवान की महिमा में डूबकर और उनके चरणों में समर्पित होकर हम अपने जीवन के हर दुख और कष्ट से पार पा सकते हैं। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार ,गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

Leave a comment