Vindheshwari Aarti आरती सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ पान सुपारी ध्वजा नारियल। ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ सुवा चोली तेरी अंग विराजे। केसर तिलक लगाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ नंगे पग मां अकबर आया। सोने का छत्र चडाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया। निचे शहर बसाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये। कालियुग राज सवाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ धूप दीप नैवैध्य आर्ती। मोहन भोग लगाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया। मनवंचित फल पाया॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी। कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

Vindheshwari Aarti | विंधेश्वरी आरती: देवी विंधेश्वरी की महिमा का स्तुति गीत

विंधेश्वरी आरती देवी विंधेश्वरी की पूजा और स्तुति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रूप है। देवी विंधेश्वरी विशेष रूप से उत्तर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विंध्याचल में विराजमान है। Vindheshwari Aarti देवी शक्ति की आराधना का एक प्रमुख साधन है, जिन्हें माता दुर्गा का एक रूप माना जाता है। देवी विंधेश्वरी के … Read more