Vindheshwari Aarti | विंधेश्वरी आरती: देवी विंधेश्वरी की महिमा का स्तुति गीत

विंधेश्वरी आरती देवी विंधेश्वरी की पूजा और स्तुति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रूप है। देवी विंधेश्वरी विशेष रूप से उत्तर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विंध्याचल में विराजमान है। Vindheshwari Aarti देवी शक्ति की आराधना का एक प्रमुख साधन है, जिन्हें माता दुर्गा का एक रूप माना जाता है। देवी विंधेश्वरी के बारे में माना जाता है कि वे भक्तों की सभी प्रकार की कठिनाइयों को दूर करती हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास करती हैं।

आरती के प्रत्येक शब्द में देवी की असीम महिमा और कृपा का बोध होता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ गाने से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि मिलती है। यह आरती विशेष रूप से नवरात्रि, मंगलवार और शनिवार जैसे शुभ अवसरों पर गाई जाती है, जब देवी की पूजा और स्तुति का महत्व अधिक होता है। आपकी भक्ति कार्य को सरल बनाने के लिए हमने इस आरती को आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है-

आरती

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

सुवा चोली तेरी अंग विराजे।
केसर तिलक लगाया ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

नंगे पग मां अकबर आया।
सोने का छत्र चडाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया।
निचे शहर बसाया ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये।
कालियुग राज सवाया ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥

धूप दीप नैवैध्य आर्ती।
मोहन भोग लगाया ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ

ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया।
मनवंचित फल पाया

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ

इनके साथ-साथ आप Durga Devi Aarti, Durga Stotra और Durga Devi Mantram आदि का पाठ भी कर सकते है। यह सभी पाठ केवल पूजा का एक भाग ही नहीं, बल्कि हमारे मन को शुद्ध करने और हमारे अंदर की नकारात्मकता को समाप्त करने का साधन है।

Vindheshwari Aarti की विधि

इस आरती का विधिपूर्वक और श्रद्धा से पाठ करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है। नीचे आरती करने की सही विधि दी गई है:

  1. शुद्धता: सुबह स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। यह पूजा के स्वछता के लिए आवश्यक है।
  2. पूजा स्थल: सबसे पहले आरती के लिए एक शांत और स्वच्छ और शांत स्थल का चयन करें। अब इस स्थान पर देवी माँ की मूर्ति को लकड़ी के एक छोटे चौकी पर लाल या पीला कपडा बिछा कर उसपर स्थापित कर दें। यदि संभव हो, तो दीपक और अगरबत्तियां जलाकर पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  3. सामग्री: देवी को अर्पित करने के लिए फूल, सिंदूर, चंदन, अक्षत (चावल), और कुमकुम रखें। नैवेद्य (फल, मिठाई) रखें और देवी के चरणों में अर्पित करें।
  4. ध्यान और प्रार्थना: पूजा की शुरुआत देवी विंधेश्वरी का ध्यान करके करें। उनके दिव्य स्वरूप की कल्पना करें और उनके समक्ष मानसिक शांति और भक्तिभाव से खड़े हो जाएं।
  5. आरती का गान: अब, विंधेश्वरी आरती का पाठ करें। आरती के हर शब्द को श्रद्धा और भक्ति से उच्चारित करें। दीपक को दोनों हाथों से घुमा कर देवी के सामने अर्पित करें और आरती के दौरान देवी से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
  6. नैवेद्य अर्पण: आरती के बाद देवी को नैवेद्य फल, मिठाई या अन्य प्रसाद चढ़ाएं और इसे भक्तों में वितरित करें।
    यदि संभव हो, तो
  7. शांति और समर्पण: आरती के अंत में कुछ समय के लिए देवी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें। देवी विंधेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, आरती को शांति और आभार के साथ समाप्त करें।

विंधेश्वरी आरती के लाभ

आरती का नियमित और श्रद्धा भाव से पाठ करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह आरती देवी विंधेश्वरी की कृपा और आशीर्वाद का मार्ग प्रशस्त करती है। यहां आरती के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  • संकटों से मुक्ति: देवी विंधेश्वरी को संकटों और मुश्किलों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। इस आरती के पाठ से जीवन में आने वाले संकटों, कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • मानसिक शांति: आरती का पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह आरती भक्तों के मन को शांत करती है और तनाव, चिंता, और मानसिक परेशानियों से राहत दिलाती है।
  • रोगों से राहत: आरती का पाठ शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है और रोगों से रक्षा करता है।
  • समृद्धि: आरती का नियमित पाठ आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है और धन की प्राप्ति के अवसर प्रदान करता है।
  • सुख-शांति: आरती घर और परिवार में सुख, शांति और खुशहाली का वातावरण बनाती है। यह परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और सौहार्द को बढ़ाती है।
  • नकारात्मकता: यह आरती नकारात्मक शक्तियों, बुरी आत्माओं और भूत-प्रेत से सुरक्षा प्रदान करती है। देवी विंधेश्वरी की कृपा से घर और परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
  • प्रेरणा: आरती का पाठ सकारात्मकता और प्रेरणा का संचार करता है। देवी विंधेश्वरी की भक्ति से जीवन में नए उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हर कार्य में सफलता मिलती है।

इस आरती के इन लाभों से जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और देवी की असीम कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों का जीवन संपूर्ण और सुखमय बनता है।

FAQ

क्या विंधेश्वरी जी की आरती का पाठ अकेले किया जा सकता है?

हां, आरती का पाठ अकेले भी किया जा सकता है। इसे व्यक्तिगत पूजा के दौरान भी गाया जा सकता है और देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

क्या आरती को गाने के लिए किसी विशेष भाषा की आवश्यकता होती है?

क्या इस आरती का पाठ बच्चों और बुजुर्गों को भी करना चाहिए?

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