तुलसी आरती इस्कॉन: प्रेम, श्रद्धा और शुद्ध भक्ति का साथ

तुलसी आरती इस्कॉन भक्तों द्वारा हर दिन गाई जाने वाली एक बेहद पवित्र आरती है, जो तुलसी माता की महिमा का गुणगान करती है। यह आरती विशेष रूप से ISKCON मंदिरों में श्री हरि की भक्ति के पहले की जाती है। Tulsi Aarti Iskcon के माध्यम से भक्त तुलसी माता को नमन कर उनके माध्यम से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हमने आपके लिए यहां Tulsi Aarti Iskcon Lyrics को उपलब्ध कराया है-

Tulsi Aarti Iskcon

श्री तुलसी प्रणाम

वृन्दायै तुलसी देव्यायै
प्रियायै केशवस्यच।
कृष्ण भक्ती प्रदे देवी
सत्य वत्यै नमो नमः॥

श्री तुलसी आरती

तुलसी कृष्णा प्रेयसी नमो नमों,
राधा कृष्णा सेवा पाबो एई अभिलाषी।

ये तोमार शरण लोय, तारा वांछा पूर्ण होय,
कृपा करी कोरो तारे वृंदावन वासीं।

मोरा एई अभिलाष विलास कुंजे दिओ वास,
नयन हेरीबो सदा युगल रूप रासि।

एई निवेदन धर सखीर अनुगत कोरो,
सेवा अधिकार दिए कोरो निज दासी।

दिन कृष्णा दासे कोय एई येन मोरा होय,
श्री राधा गोविंद प्रेमे सदा येन भासिं।

श्री तुलसी प्रदक्षिणा

यानि कानि च पापानी
ब्रह्म हत्यदिकानी च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति
प्रदक्षिणः पदे पदे॥

Tulsi Aarti Iskconश्री तुलसी प्रणामवृन्दायै तुलसी देव्यायै
प्रियायै केशवस्यच।
कृष्ण भक्ती प्रदे देवी
सत्य वत्यै नमो नमः॥श्री तुलसी आरतीतुलसी कृष्णा प्रेयसी नमो नमों,
राधा कृष्णा सेवा पाबो एई अभिलाषी।ये तोमार शरण लोय, तारा वांछा पूर्ण होय,
कृपा करी कोरो तारे वृंदावन वासीं।मोरा एई अभिलाष विलास कुंजे दिओ वास,
नयन हेरीबो सदा युगल रूप रासि।एई निवेदन धर सखीर अनुगत कोरो,
सेवा अधिकार दिए कोरो निज दासी।दिन कृष्णा दासे कोय एई येन मोरा होय,
श्री राधा गोविंद प्रेमे सदा येन भासिं।श्री तुलसी प्रदक्षिणायानि कानि च पापानी
ब्रह्म हत्यदिकानी च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति
प्रदक्षिणः पदे पदे॥

तुलसी आरती इस्कॉन सिर्फ एक भजन या रीत नहीं, बल्कि एक भक्त और भगवती तुलसी के बीच की आत्मिक कड़ी है। जब भी यह आरती श्रद्धा से गाई जाती है, तो मानो श्रीकृष्ण स्वयं उसके हर शब्द को स्वीकार करते हैं। यदि आप Tulsi Vivah, Tulsi Mata Ki Kahani, या Tulsi Ke Benefits जैसी और भी पवित्र जानकारियाँ जानना चाहते हैं, तो जरूर पढ़ें हमारे अन्य लेख भी और अपने जीवन में तुलसी की दिव्यता को अनुभव करें।

आरती करने की सरल और प्रभावी विधि

Tulsi Aarti Iskcon सिर्फ एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि हृदय की भक्ति को जगाने का माध्यम है। ISKCON में इसे विशेष श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाता है। नीचे दी गई है इसकी सम्पूर्ण विधि:

  1. स्थान और समय: प्रातःकाल या संध्या समय, स्वच्छ और शांत स्थान पर करें। ISKCON परंपरा में यह आरती आमतौर पर मंगला आरती (सुबह 4:30 बजे) के बाद की जाती है।
  2. सामग्री: तुलसी का पौधा (स्वस्थ और स्वच्छ), घी का दीपक, अगरबत्ती, जल या गंगाजल, फूल (विशेषकर तुलसी के पत्तों के साथ), घंटी आदि।
  3. तैयारी: तुलसी माता को दीप दिखाकर, उन्हें फूल अर्पित करें। एक कटोरी जल अर्पण करें और अगरबत्ती से पूजा की शुरुआत करें।
  4. आरती घुमाएं: अब Tulsi Aarti Iskcon Lyrics In Hindi आरती करते हुए दीपक को तुलसी माता के सामने 3, 5 या 7 बार गोल घुमाएं। इस दौरान घंटी बजाते रहें और भक्ति भाव रखें।
  5. आरती भाव: आरती गाते समय तुलसी माता को ध्यान से देखें, और मन में श्रीकृष्ण, राधारानी या श्रीहरि का स्मरण करें। यह आरती केवल पाठ नहीं, प्रेमपूर्ण भक्ति की अभिव्यक्ति है।
  6. प्रार्थना करें: अब प्रार्थना करें की “हे तुलसी माता! कृपा कर हमें हरि भक्ति दें, हमारी अज्ञानता दूर करें और जीवन में सच्ची शांति और भक्ति का मार्ग दिखाएं।”

जब हम श्रद्धा और नियम से तुलसी माता की आरती करते हैं, तो यह हमारे घर और हृदय – दोनों को शुद्ध कर देती है।

FAQ

ISKCON में तुलसी आरती का क्या विशेष महत्व है?

ISKCON में तुलसी माता को भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय भक्त माना गया है। इसलिए हर सेवा से पहले तुलसी माता की आरती की जाती है।

क्या तुलसी आरती के दौरान पत्ते तोड़ना उचित है?

तुलसी आरती करते समय कौन से मंत्र या भजन गाए जाते हैं?

क्या तुलसी आरती के साथ भगवान विष्णु या शालिग्राम की पूजा करनी जरुरी है?

क्या पुरुष तुलसी आरती कर सकते हैं?

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