सूर्य देव को हिंदू धर्म में ऊर्जा, प्रकाश, और जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। सूर्य देव की आरती लिरिक्स में उनकी महिमा और शक्ति का गुणगान करने के लिए किया जाता है, जो भक्तों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। उन्हें नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और वे संसार को जीवनदायिनी शक्ति प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं। Surya dev ki Aarti lyrics में सूर्य देव के तेजस्वी स्वरूप, उनकी अनंत ऊर्जा और संसार को आलोकित करने वाली शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
नियमित रूप से आरती का पाठ करने से व्यक्ति को आंतरिक शक्ति, धैर्य और साहस प्राप्त होता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है। आरती के बोल सरल और प्रभावी होते हैं, जिसे हर आयु वर्ग के लोग आसानी से गा सकते हैं। रविवार के दिन सूर्य आरती अवश्य करनी चाहिए। इस आरती की सम्पूर्ण बोल और विधि को हमने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है जिसे आप आसानी से प्राप्त कर सकते है।
सूर्य देव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे।
तुम हो देव महान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते॥
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते।
बल बृद्धि और ज्ञान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्व शक्तिमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥
यहाँ सूर्यदेव के आरती के साथ Brihaspativar Vrat Katha Aarti को भी उपलब्ध कराया गया है जो आपके लिए लाभदायक हो सकता है।
Surya dev ki Aarti lyrics करने की विधि
- स्नान और शुद्ध वस्त्र: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। स्नान के बाद साफ-सुथरे और शुद्ध वस्त्र पहनें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है, जो पूजा के लिए आवश्यक है।
- पूजा स्थान: घर के पूजा स्थल को साफ करें और सूर्य देव की मूर्ति या चित्र को वहां स्थापित करें। अगर संभव हो तो पूजा छत पर या घर के बहार आँगन में करें।
- जल से अर्घ्य दें: सूर्य देव की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा जल अर्पण करना है। तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लें और उसमें थोड़ा चावल, लाल फूल, और चंदन डालें। सूर्य की ओर मुख करके जल अर्पित करें और सूर्य नमस्कार मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” का जाप करें।
- धूप-दीप जलाएं: पूजा स्थल पर धूप और दीपक जलाएं। दीपक को सूर्य की ओर रखते हुए, उनके प्रकाश का आह्वान करें। धूप से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- लाल फूल: सूर्य देव को लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान लाल फूल, विशेष रूप से गुड़हल, सूर्य देव के चरणों में अर्पित करें। यह उनकी कृपा प्राप्त करने का साधन है।
- आरती का गान: पर दिए हुए सूर्य देव की आरती का गान करें। आरती गाते समय दीपक को गोल-गोल घुमाएं और सूर्य देव की महिमा का गुणगान करें। आरती के बोल सूर्य देव की शक्ति और तेजस्वी स्वरूप का वर्णन करते हैं।
- मंत्रों का जाप: आरती के बाद सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” या “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। इससे सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- प्रसाद अर्पित: पूजा के अंत में सूर्य देव को प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद में गुड़, चने, या अन्य शुद्ध और सात्विक पदार्थ अर्पित करें। इसे बाद में परिवार के सदस्यों के बीच बांटें।
- सूर्य नमन: अंत में, सूर्योदय के समय सूर्य की ओर देखते हुए उन्हें नमन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यह क्रिया जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और तेज लाने का प्रतीक है।
सूर्य देव की आरती और पूजा नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इससे न केवल शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है
सूर्य देव की आरती के लाभ
- स्वस्थ जीवन: जो भी सूर्य देव की आरती लिरिक्स सच्चे मन से गायन करता है उस व्यक्ति को कुष्ठरोग से छुटकारा मिलता है हुए स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- सम्मान: आरती करने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
- ग्रह दोष से मुक्ति: माना जाता है कि सूरज की आरती करने से नवग्रहों की कृपा होती है और ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है।
- सूर्य देवकी की आरती करने से शरीर स्वस्थ होता है और बुद्धि तीव्र होती है।
- सौभाग्य: सूर्य की आरती से भी सोया हुआ भाग्य जागता है और आपके रुके हुए कार्य पूर्ण हो जाते है।
- मनोकामना: आरती से भक्तो की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: सूरज भगवान की आरती करने से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो नकारात्मकता और बुरे प्रभावों को दूर करता है।
- मानसिक संतुलन: इनकी आरती करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। चंद्रमा मन का स्वामी होता है, इसलिए उनकी पूजा करने से तनाव, चिंता, और मानसिक अस्थिरता दूर होती है।
- सुख-समृद्धि: उनकी आरती नियमित रूप से करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और आर्थिक स्थिति बेहतर होती है
FAQ
सूर्य देव का क्या अर्थ है ?
हिन्दू धर्म में सूर्य देव को ग्रहों का देवता मानते हैं और जीवन का मूल स्रोत मानते हैं। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन किया जाता है।
क्या सूर्य देव की आरती में व्रत रखना चाहिए ?
नहीं, जरुरी नहीं है व्रत के साथ हीं करें आप ऐसे भी आरती कर सकते है, लेकिन कुछ भक्त ऐसा कर सकते हैं।
सूर्य देव को रोज आरती करना चाहिए ?
रोज़ करना एक उपासना का हिस्सा हो सकता है, लेकिन आपकी आसानी के अनुसार इसे प्रतिदिन या विशेष अवसर पर कर सकते है।
सूर्य आरती कब करनी चाहिए ?
सूर्य देव की आरती का पाठ विशेष रूप से रविवार के दिन किया जाता है, इसके अलावा, मकर संक्रांति, छठ पूजा, और अन्य धार्मिक अवसरों पर भी भक्त सूर्य देव की आराधना करते हैं।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.