सुख कर्ता दुख हर्ता आरती लिरिक्स भगवान श्री गणेश को समर्पित एक लोकप्रिय आरती के बोल है, जो हर पूजा-अर्चना और धार्मिक उत्सव में मुख्य रूप से गाई जाती है। Sukh Karta Dukh Harta Aarti Lyrics के बोल ऐसे हैं जो भक्तों के मन में श्रद्धा और समर्पण का भाव उत्पन्न करते हैं। इस लिरिक्स में गणेश जी से विघ्न को हरने और सुख का संचार करने के लिए प्रार्थना की जाती है।
गणेश जी महाराज की आरती की शुरुआत एक विशेष प्रकार की प्रार्थना से होती है, जिसमें भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके सभी कष्टों को हर लें और उन्हें सुख-शांति का वरदान दें। गणपति बप्पा की ये आरती उनके ‘मोदकप्रिय’ स्वरूप और उनके सौम्य रूप का वर्णन करती है, जो भक्तों के मन में एक अद्भुत ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है।
सुख कर्ता दुख हर्ता आरती लिरिक्स
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची,
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची,
कंठी झलके माल मुकताफळांची।
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति, दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ति
जय देव जय देव…
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा,
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा,
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया।
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति, दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति
जय देव जय देव…
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना,
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना,
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना।
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति, दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव…
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को,
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को।
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को,
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को।
जय जय जय जय जय,
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव…
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी,
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी,
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी।
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव…
भावभगत से कोई शरणागत आवे,
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे,
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे।
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव…
ये आरती न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच एक गहरा आत्मीय संबंध भी है, जो उन्हें आत्मिक शांति और शक्ति प्रदान करती है। गणेश आरती के साथ Ganesh Bhajan Lyrics और Ganesh Puja Mantra का जाप भी किया जा सकता है।
Sukh Karta Dukh Harta Aarti Lyrics की विधि
सफाई और तैयारी: स्नान करने के बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करे और एक स्वच्छ आसन पर बैठकर गणेश जी की मूर्ति या चित्र को रखें। पूजा स्थल पर दीपक, अगरबत्ती, चंदन, फूल, दूर्वा और अन्य पूजा सामग्री रखें, ध्यान रहे कि पूजा स्थान शुद्ध और शांतिपूर्ण हो, जिससे वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहे।
- दीपक जलाएं: मूर्ति के सामने घी या तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। गणेश जी को दूर्वा और अन्य फूल चढ़ाएं।
- भोग: लड्डू या मोदक का भोग अर्पित करें जो गणेश जी के प्रिय हैं। भोग अर्पित करने से भगवान खुश होते हैं और भक्त को आशीर्वाद मिलता है।
- प्रारंभ: पूजा करते समय सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और मंत्र का जाप करें। फिर भगवान गणेश के सामने दीपक और कपूर जलाकर उनकी पूजा शुरू करें।
- आरती का पाठ: आरती को प्रारम्भ करें और आरती को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाना चाहिए। आरती के दौरान हाथों में दीपक लेकर उसे गणेश जी की मूर्ति के चारों ओर घुमाएं।
- घंटी बजाना: आरती के दौरान घंटी बजाना शुभ माना जाता है। घंटी का ध्वनि वातावरण में सकारात्मकता लाती है और भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण को बढ़ाती है।
- प्रसाद वितरण: अब प्रसाद को पूजा में उपस्थित सभी लोगो को बाटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- आशीर्वाद: आरती और पूजा के बाद भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करें। प्रार्थना करें कि भगवान गणेश आपके जीवन के सभी विघ्नों को दूर करें और सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करें।
आरती करने के लाभ
यह आरती भगवान गणेश की कृपा से विघ्नों का नाश करने, सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली पाने के लिए की जाती है। इस आरती को नियमित रूप से करने से कई तरह के आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।
- विघ्नों का नाश: इस आरती को करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं, समस्याएं और विघ्न दूर हो जाते हैं। ।
- सकारात्मकता: इससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- समृद्धि : आरती के नियमित पाठ से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती। यह आरती आर्थिक समृद्धि को आकर्षित करती है और पैसों से संबंधित समस्याएं हल हो जाती हैं।
- कार्यों में सफलता: इस आरती को गाने से व्यक्ति को अपनी योजनाओं में सफलता प्राप्त होती है, चाहे वह व्यवसाय हो, शिक्षा हो या व्यक्तिगत जीवन।
- पारिवारिक सुख: आरती पारिवारिक संबंधों को मजबूत करती है। घर में सुख, शांति और प्रेम बढ़ता है, और परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति समझ और स्नेह रखते हैं। इस आरती से घर का माहौल शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण बनता है।
- शारीरिक रोग: इस आरती से शारीरिक और मानसिक रोगों में भी लाभ मिलता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को दूर करती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- बाधाओं से मुक्ति: गणेश जी की आरती शत्रुओं से बचाव का एक प्रभावी उपाय मानी जाती है। जो लोग किसी प्रकार के शत्रु या विरोधी से परेशान हैं, उन्हें यह आरती करने से शत्रु के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- सुख-शांति: यह आरती जीवन में स्थिरता, संतुलन और मानसिक शांति लाने में सहायक होती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति का जीवन उथल-पुथल से दूर रहता है और वह अपने कार्यों को धैर्य और परिश्रम से पूरा कर पाता है।
- आत्मविश्वास: गणेश जी की कृपा से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। आरती करने से मन में साहस और उत्साह का संचार होता है, जिससे व्यक्ति जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना आसानी से कर पाता है।
FAQ
गणेश जी की आरती कब करनी चाहिए ?
गणेश जी की आरती वैसे तो किसी भी शुभ कार्य करने से पहले की जाती है, लेकिन विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दिन यह आरती अवश्य करनी चाहिए।
क्या इस आरती को सभी लोग कर सकते है ?
हाँ, इस आरती के लिरिक्स सरल शब्दों में लिखे गए है जिसे कोई भी आसानी से पढ़ सकता है और इस आरती को कर सकता है।
क्या आरती करने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता होती है ?
नहीं, आरती आप साफ-सफाई के साथ अपने स्थानीय निवास के नियम के अनुसार कर सकते है।
गणेश आरती के लिए किन सामग्रियों का होना आवश्यक है ?
इनकी आरती के लिए अक्षत, रोली, फूल और प्रसाद के रूप में मोदक का होना आवश्यक है।