विष्णु स्तोत्रम: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला दिव्य पाठ

विष्णु स्तोत्रम भगवान विष्णु की स्तुति में रचा गया एक अत्यंत शक्तिशाली पाठ है, जिसे श्रद्धा और नियम से पढ़ने पर कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र जीवन की बाधाओं को दूर करने और मन को स्थिरता देने में सहायक होता है। भक्त Vishnu Stotram को प्रतिदिन या विशेष तिथियों पर पढ़ते हैं ताकि वे ईश्वर से जुड़ सकें। यहाँ हम आपको यह पाठ और इसकी सम्पूर्ण विधि सरल भाषा में दे रहे हैं-

Vishnu Stotram

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन:॥
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव:॥1॥

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ॥
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम्॥2॥

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ॥
गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम्॥3॥

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम्॥
दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम्॥4॥

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम्॥
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च॥5॥

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव:॥
अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च॥6॥

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च॥
मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते॥7॥

॥ इति श्री विष्णु स्तोत्र संपूर्णम्॥

Vishnu Stotram

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन:॥
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव:॥1॥

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ॥
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम्॥2॥

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ॥
गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम्॥3॥

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम्॥
दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम्॥4॥

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम्॥
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च॥5॥

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव:॥
अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च॥6॥

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च॥
मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते॥7॥

॥ इति श्री विष्णु स्तोत्र संपूर्णम्॥

विष्णु स्तोत्रम एक ऐसा पाठ है जो साधक को भगवान विष्णु की दिव्यता से जोड़ता है। यदि आप भगवान के और स्तोत्र, चालीसा या सहस्रनाम पढ़ना चाहते हैं, तो Vishnu Chalisa और Vishnu Sahasranamam जैसे लेख भी ज़रूर पढ़ें। इन लेखों में आपको सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी और आपकी भक्ति को नई दिशा मिलेगी। हमारी वेबसाइट पर और भी आध्यात्मिक सामग्री उपलब्ध है।

इसका पाठ कैसे करे

Vishnu Stotram Lyrics के पाठ से पूर्व शुद्धता, नियम और मन की एकाग्रता अनिवार्य मानी गई है। यह पाठ तभी फलदायी होता है जब उसे श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाए।

  1. स्नान करें: पाठ से पहले प्रातःकाल स्नान करें जिससे तन और मन दोनों की शुद्धि हो सके। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शांत मन से पूजा की तैयारी करें।
  2. पूजा स्थान: जहाँ पाठ करना हो वह स्थान पूर्णत: स्वच्छ, शांत और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त होना चाहिए। मिट्टी या गंगाजल से उस स्थान की शुद्धि करना शुभ होता है।
  3. मूर्ति रखें: भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो को साफ़ आसन पर स्थापित करें। उन्हें पीले पुष्प, तुलसी दल और पीले वस्त्र अर्पित करें।
  4. दीपक जलाएं: एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें। इससे वातावरण भक्तिमय बनता है और ध्यान केंद्रित होता है।
  5. आसन: कुश या ऊनी आसन का प्रयोग करें और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। इससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है।
  6. पाठ करें: भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए शांत चित्त से स्तोत्र का पाठ करें। शब्दों का उच्चारण स्पष्ट हो और मन ईश्वर की ओर एकाग्र रहे।
  7. आरती करें: पाठ के पश्चात भगवान विष्णु की आरती करें और अंत में प्रार्थना करें कि आपकी साधना स्वीकार हो। उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और आभार प्रकट करें।

Vishnu Stotram का पाठ श्रद्धा और नियमपूर्वक करें, इससे जीवन में शांति, संरक्षण और दिव्यता की अनुभूति होती है। नित्य प्रार्थना में इसे शामिल करके भगवान विष्णु की कृपा सहज ही प्राप्त की जा सकती है।

FAQ

इस स्तोत्र को किसने लिखा है?

इसका पाठ कब करना चाहिए?

क्या इसे रोज़ पढ़ सकते हैं?

इससे क्या लाभ होता है?

यह भगवान विष्णु की कृपा और मानसिक शांति प्रदान करता है।

विष्णु जी का स्तोत्र का पाठ कब नहीं करना चाहिए?

Leave a comment