Maruti Stotra in hindi

Maruti Stotra in Hindi | मारुती स्तोत्र हिंदी में : एक आध्यात्मिक भक्ति पाठ

मारुती स्तोत्र हिंदी में उपलब्ध एक पारंपरिक और धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान हनुमान के गुणों का बखान करता है। इसमें हनुमान जी के चमत्कारों, तपस्या, और राम के प्रति उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में एक अलग ही भक्तिभाव और भगवान के प्रति श्रद्धा दिखाई देती है। मारुती स्तोत्र भक्तों के … Read more

Shiv Panchakshar Stotra | शिव पंचाक्षर स्तोत्र

शिव पंचाक्षर स्तोत्र हमरे हिन्दू धर्म का अत्यधिक महत्वपूर्ण मन्त्र है। Shiv Panchakshar Stotra श्लोक सभी शिव भक्तों के लिए आदर्श माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव की असीम कृपा समाहित है जिसका अनुभव इस स्तोत्र का पाठ करने वाले भक्त कर सकते है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करके भगवान शिव की विशेष … Read more

Shiv Tandav Stotram Ringtone

शिव तांडव रिंगटोन | Shiv Tandav Ringtone

शिव का तांडव केवल नृत्य नहीं, यह सृष्टि की रचना और संहार की गूंज है। Shiv Tandav Ringtone उसी दिव्य कंपन का प्रतीक है, जो आत्मा में जोश, साहस और गहराई जगाता है। यह रिंगटोन शिवभक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभव है — जो हर बार सुनते ही दिल और चेतना को झकझोर देता है। … Read more

शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।  डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम॥1॥ जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी। विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं॥2॥  धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥3॥ जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे। मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥4॥  सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः। भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः॥5॥ ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌। सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः॥6॥ कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके। धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम॥7॥ नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः। निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः॥8॥  प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌ स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे॥9॥ अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌। स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे॥10॥ जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट् धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः॥11॥ दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः। तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे॥12॥ कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌। विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥ निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः। तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः॥14॥ प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना। विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌॥15॥ इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌। हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम॥16॥ पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे। तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥17॥ ॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥

Shiv Tandav Stotra Lyrics | शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स

शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स आपके धार्मिक कार्यो में अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। इसके प्रयोग से आप स्तोत्र को बिना किसी कठिनाई के पढ़ सकतें है और अपने पाठ को और प्रभावशाली बना सकते है। यह स्तोत्र भगवन शिव की भक्ति और स्तुति के लिए समर्पित है Shiv Tandav Stotram में भगवान शिव के तांडव … Read more

Hanuman Dwadash Naam Stotram !! श्री हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र !! हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल: ... ! रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: !! उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन: ...! लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा !! एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ... ! स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत् !! तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत् ... ! राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन !!

Hanuman Dwadash Naam Stotram | हनुमान द्वादश नाम स्तोत्र : सकारात्मक ऊर्जा

हनुमान द्वादश नाम स्तोत्र भगवान हनुमान के बारह पवित्र नामों का संकलन है, जो भक्तों के लिए अति शुभ और फलदायी माना जाता है। यह Hanuman Dwadash Naam Stotram भक्तों के जीवन में साहस, शक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हनुमान जी को हिंदू धर्म में असीम शक्ति, अद्वितीय भक्ति और अटल विश्वास … Read more

Hanuman Vadvanal Stotra ॥ विनियोग ॥ ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः ! श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं !! मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे ॥ सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् ! आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं !! श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ॥ ॥ ध्यान ॥ मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ! वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम ! सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय ॥ वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र ! उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र ॥ अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार ! सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद ॥ सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन ! ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ॥ ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन ! भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर ॥ चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर ! माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस !! भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ! ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॥ ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ! ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां ॥ शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर ! आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय ॥ शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय ! प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन ! परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु ॥ शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय ! नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान् !! यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते ! राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र ॥ पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय ! नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥

हनुमान वडवानल स्तोत्र | Hanuman Vadvanal Stotra : पूजा का महामंत्र

इस हनुमान वडवानल स्तोत्र में विभीषण ने भगवान राम और हनुमान का वर्णन किया हैं। इस स्त्रोत का जाप करने से आप के जीवन के सभी कष्टों का नाश होगा तथा आप खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। यह हनुमान पूजा मंत्र भगवान की कृपा को पाने का एक महामंत्र है। इस स्त्रोत में हनुमान जी … Read more

Shiv Panchakshar Stotra Lyrics नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय...! भस्माङ्गरागाय महेश्वराय !! नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय...! तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय...! नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय !! मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय...! तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥ शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द...! सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय !! श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय...! तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥ वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य...! मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय !! चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय...! तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥ यक्षस्वरूपाय जटाधराय...! पिनाकहस्ताय सनातनाय !! दिव्याय देवाय दिगम्बराय...! तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥ पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ !! शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते !!

शिव पंचाक्षर स्तोत्र | Shiv Panchakshar Stotra Lyrics : नमः शिवाय का गुणगान

शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव के गुणों का बखान करने वाला एक प्रमुख स्तोत्र है जिसे हमारे हिन्दू धर्म में अधिक महत्व दिया जाता है। इस स्तोत्र में पाँच अक्षरों का (नमः शिवाय) महत्त्वपूर्ण गुणगान होता है, जो भगवान शिव की महत्त्वपूर्ण  बातों को बताता है।यह Shiv Panchakshar Stotra Lyrics व्यक्ति के मन को शांत रखता है बुद्धि और … Read more

विन्धेश्वरी स्तोत्र | Vindheshwari Stotra निशुम्भ-शुम्भ-गर्जनीं, प्रचण्ड-मुण्ड-खण्डिनीम्... वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! त्रिशुल-मुण्ड-धारिणीं धरा-विघात-हारिणीम्... गृहे-गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! दरिद्रदुःख-हारिणीं, सदा विभुतिकारिणीम्... वियोग-शोक-हारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! लसत्सुलोल-लोचनं लतासनं वरप्रदम्... कपाल-शुल-धारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनीम्... वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! ऋषिन्द्रजामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप-धारिणीम्... जले स्थले निवासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! विशिष्ट-शिष्ट-कारिणीं, विशाल रूप-धारिणीम्... महोदरे विलासिनीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् !! पुरन्दरादि-सेवितां पुरादिवंशखण्डिताम्... विशुद्ध-बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीम् !!

विन्धेश्वरी स्तोत्र | Vindheshwari Stotra : आनंद और शांति की प्राप्ति

इस प्राचीन विन्धेश्वरी स्तोत्र के माध्यम से, हम माँ विन्धेश्वरी की शक्तियों का गुणगान करते हैं। जो अपनी कृपा से लोगों का भला करती हैं। Vindheshwari stotra को आप अपने जीवन में ध्यान और पूजा का हिस्सा बनाकर अपने जीवन को सुखी बना सकते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से हमारा  जीवन आनंद और शांतिमय … Read more

Siddha Kunjika Stotram शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्... येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत !! 1 !! न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्... न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् !! 2 !! कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्... अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् !! 3 !! गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति... मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् !! 4 !! ॥अथ मन्त्रः॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ... ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा !! ॥इति मन्त्रः॥ नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि... नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि !! 1 !! नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि !! 2 !! जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे... ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका !! 3 !! क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते... चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी !! 4 !! विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि !! 5 !! धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी... क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु !! 6 !! हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी... भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः !! 7 !! अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥ पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा !! 8 !! सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे !! इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे... अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति !! यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्... न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा !! इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्। !! ॐ तत्सत् !!

Siddha Kunjika Stotram | सिद्ध कुंजिका स्तोत्र : चमत्कारी मंत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र माँ दुर्गा की एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है, जो उनके शक्तियों का वर्णन करता है। यह Siddha Kunjika Stotram बहुत ही चमत्कारी मंत्र है। इस मंत्र का गोपनीय जाप करने से भक्तों को अधिक लाभ और सफलता मिलता है। ॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥ शिव उवाचशृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्…येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत !! 1 !! … Read more

Ram Raksha Stotra ॥विनियोग:॥ अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः। ॥अथ ध्यानम॥ ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं, पीतं वासो वसानं नवकमल दलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्। वामांकारूढ़ सीता मुख कमल मिलल्लोचनं नीरदाभं, नाना लंका रदीप्तं दधत मुरुजटा मण्डलं रामचन्द्रम्। ॥स्तोत्रम॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्। एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्याम रामं राजीवलोचनम। जानकी लक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम ॥2॥ सासितूण – धनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम ॥3॥ रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम। शिरो में राघवं पातु भालं दशरथात्मज: ॥4॥ कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥5॥ जिव्हां विद्यानिधि पातु कण्ठं भरतवन्दित:। स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥6॥ करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥7॥ सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुत्मप्रभु:। ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत ॥8॥ जानुनी सेतकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक:। पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामोsखिलं वपु: ॥9॥ एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत। स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत ॥10॥ पातालभूतलव्योमचारिण श्छद्मचारिण:। न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥11॥ रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन। नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥ जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम। य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥13॥ वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम ॥14॥ आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:। तथा लिखितवान्प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥15॥ आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम। अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्स न: प्रभु: ॥16॥ तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥ फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥ शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम। रक्ष: कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ 9॥ आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ। रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम ॥20॥ सन्नद्ध: कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन्मनोरथान्नश्च राम: पातु सलक्ष्मण: ॥21॥ रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्लेयो रघूत्तम: ॥22॥ वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:। जानकीवल्ल्भ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥23॥ इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय: ॥24॥ रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरा: ॥25॥ रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं। काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ॥26॥ राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति। वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥27॥ रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥28॥ श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम। श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥29॥ श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रवरणौ वचसा गृणामि। श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥30॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:। सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥31॥ दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम ॥32॥ लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्र रघुवंशनाथम। कारुण्यरुपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥33॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥34॥ कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥35॥ आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम ॥36॥ भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम। तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम ॥37॥ रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे, रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नम: ॥38॥ रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोsस्म्यहं, रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥39॥ राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥40॥

Ram Raksha Stotra | राम रक्षा स्तोत्र : शत्रु से रक्षा

राम रक्षा स्तोत्र, भगवान राम की स्तुति के लिए बनाया गया है जो भक्तों की रक्षा और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लिखे गए रामायण से लिया गया है। राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भक्त अध्यात्म से जुड़ते है और खुद को जान पाते हैं। इस … Read more