श्रृंगार सिंदूरी छवि बाला की पूरी भजन लिरिक्स

श्रृंगार सिंदूरी छवि बाला की भजन भगवान हनुमान जी के दिव्य स्वरूप, उनकी अलौकिक सुंदरता और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह भजन उनके सिंदूरी श्रृंगार, तेजस्वी रूप और भक्तों के संकट हरने वाले स्वरूप की महिमा को उजागर करता है। इसे सुनने से मन भक्तिभाव से भर जाता है, और हनुमान जी की उपासना करने से जीवन में शक्ति, समर्पण और निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा मिलती है।

Srinagar Sinduri Chhavi Bala Ki Puri Bhajan Lyrics

श्रृंगार सिंदूरी, छवि बाला की पूरी,
तुम्हे देखकर, देखता रह गया,
जब दी मुझे तुमने, दर्शन की मंजूरी,
झुका सर मेरा, तो झुका रह गया।1।

मेरा सिरसा में आना, सफल हो गया,
मेरी उलझन का पल भर में, हल हो गया,
सिरसा के सरदार भी तुम,
सालासर की सरकार भी तुम,
जो माथा टिका तो,
टिका रहा गया,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।2।

ऐसा मुखड़ा नूरानी ना, देखा कहीं,
हाथ में पहले ना थी ये, रेखा कहीं,
जागे नसीब मेरे,
तुम हो बालाजी करीब मेरे,
तुम्हे मन मेरा,
पूजता रहा गया, तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।3।

मैंने देखा तुम्हे तो, मैं ना रही,
थी अहंकार जैसी जो, शय ना रही,
ज्ञान दिया तुमने बाला,
भक्ति का पिलाया जब प्याला,
तो मैं हो के मगन, झूमता रह गया,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया।4।

श्रृंगार सिंदूरी,
छवि बाला की पूरी,
तुम्हे देखकर,
देखता रह गया,
जब दी मुझे तुमने,
दर्शन की मंजूरी,
झुका सर मेरा,
तो झुका रह गया।5।

जब भी मन विचलित हो या जीवन में किसी कठिनाई का सामना करना पड़े, तब हनुमान जी के इस मंगलमयी स्वरूप का ध्यान करना संबल प्रदान करता है। “श्रृंगार सिंदूरी छवि बाला की” भजन हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से प्रभु का स्मरण करने पर वे सदैव हमारे साथ होते हैं। उनकी कृपा से भय, दुख और पीड़ा दूर हो जाते हैं, और जीवन में सुख-शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

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