Shri Kuber Ji Ki Aarti | श्री कुबेर जी की आरती : दिव्य भक्ति स्वर

श्री कुबेर जी की आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्तोत्र है, जो धन और समृद्धि के देवता कुबेर की आराधना में गाई जाती है। भगवान कुबेर को धन के स्वामी और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं का देवता कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो व्यक्ति कुबेर जी की सच्ची श्रद्धा से पूजा करता है, उसे जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती और उसके घर में समृद्धि का वास होता है। Shri Kuber Ji Ki Aarti का नियमित पाठ आर्थिक स्थिरता, सफलता और धन की वृद्धि में सहायक होता है।

इसका पाठ विशेष रूप से दीपावली, धनतेरस और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर किया जाता है, जब लोग अपने घरों और कार्यस्थलों में भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। इस आरती के माध्यम से भक्त कुबेर जी की महिमा का गुणगान करते हैं और उनसे अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस आरती को हमने आपके लिए विस्तार से नीचे उपलब्ध कराया है जिसका पाठ आप आसानी से कर सकते है।

Shri Kuber Ji Ki Aarti


॥ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े।

॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं।


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे।


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने।


॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।


समाप्त॥

इनके आरती के साथ -साथ आप भगवन शिव की Om Jai Shiv Omkara आरती, Shiv Chalisa इत्यादि का पाठ भी कर सकते हैं। क्योंकि श्री कुबेर जी को भगवान शिव का द्वारपाल माना जाता है।

आरती करने की सम्पूर्ण विधि 

श्री कुबेर जी, जिन्हें धन के देवता और समृद्धि के स्वामी के रूप में जाना जाता है, की आरती करने की निम्नलिखित विधियां हैं जो इस प्रकार से है –

  1. स्नान – सबसे पहले आप स्नान इत्यादि करके साफ कपड़े पहने। 
  2. प्रसाद बनाये – अब आप कुबेर जी को चढ़ाने के लिए प्रसाद बनाये ,प्रसाद में आप खीर बना सकते है क्योकि यह कुबेर जी को अत्यधिक प्रिय है।  
  3. प्रतिमा की स्थापना – इसके बाद आप कुबेर भगवान की प्रतिमा को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर स्थापित करें। 
  4. शुद्धि – गंगाजल के छिड़काव से मंदिर और पुरे घर को शुद्ध करें। 
  5. अर्पित करें – भगवान कुबेर को धूप, रोली, चंदन, अक्षत, हल्दी, फूल, माला इत्यादि चढ़ाये और दीप जलाये। 
  6. भोग लगाए – अब आप कुबेर जी को उनके पसंदीदा भोजन और सबूत धनिया और खीर का भोग लगाए। 
  7. मन्त्र जाप – इसके बाद आप मंत्रों का 108 बार जाप करें। 
  8. आरती – जाप खत्म करने पर आप पूरी श्रद्धा से ऊपर दिए गए आरती का गान करें। आरती के बाद आरती को घर में चरों तरफ घुमाएं और वह पर उपस्थित लोगो को भी दें।
  9. प्रसाद – अब सभी लोगो को प्रसाद बांटे।
  10. आशीर्वाद – आरती समाप्त होने पर कुबेर जी से जीवन में समृद्धि पाने का आशीर्वाद मांगे। 

आरती करने के लाभ –

इनकी आरती करने से भक्तों को कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार से हैं:

  • आय के नए स्त्रोत – कुबेर जी की आरती करने से आय के नए साधन बनते रहते हैं। 
  • धन के नाश से मुक्ति – इनकी आरती करने से धन फिजूल खत्म नहीं होता है। 
  • धन का स्थायीरूप – श्री कुबेर जी की आरती करने से धन कोषाभाग में टिका रहता है। 
  • धन-संपत्ति में वृद्धि – कुबेर जी को धन और संपत्ति का कहा जाता है। उनकी आरती करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और घर में धन का आगमन बढ़ता है। उनकी कृपा से व्यापार, नौकरी और अन्य आर्थिक स्रोतों में वृद्धि होती है।
  • व्यवसाय में तरक्की – इनकी आरती करने से आप के व्यवसाय में तरक्की होती है। 
  • आध्यात्मिक उन्नति – इस भजन को करने से आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है और आपको आतंकिर शांति प्राप्त होती है।
  • समृद्धि और वैभव – आरती करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि का वास होता है। यह आरती व्यक्ति को धन के सही उपयोग और सदुपयोग की प्रेरणा देती है, जिससे वैभव और उन्नति प्राप्त होती है।
  • ऋण से मुक्ति – इनकी आरती करने से व्यक्ति को कर्ज़ और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह आरती आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद करती है और जीवन में वित्तीय कठिनाइयों को दूर करती है।
  • दिव्यता – इस आरती को करने से आप दिव्यता की ओर जाते हैं और आपको भगवान के साथ एक संबंध स्थापित करता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा – आरती से घर और व्यापार स्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे वहां की नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।

FAQ

कुबेर जी की पूजा व आरती कब करनी चाहिए ?

कुबेर जी की पूजा व आरती किस दिन करनी चाहिए ?

कुबेर जी की प्रतिदिन संध्या में आरती करने से क्या होता है ?

कुबेर जी की मूर्ति घर में कहाँ रखनी चाहिए ?

आप इनकी मूर्ति अपने तिजोरी में या अपने घर के वास्तु के अनुसार पंडित जी से पूछ कर रख सकते हैं। 

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