Shri Chitrgupt Ji Ki Aarti | श्री चित्रगुप्त जी की आरती

श्री चित्रगुप्त जी की आरती का धार्मिक कार्यों में अद्वितीय स्थान है जिसे करने वाले व्यक्तियों को नर्क से मुक्ति मिलती है। चित्रगुप्त जी यमराज के सहायक और कर्मो का लेखा जोखा रखने वाले देवता है अर्थात इन्हे देवताओं का लेखपाल कहा जाता है। Shri Chitrgupt Ji Ki Aarti व पूजा करने के बारे में मान्यता यह है की इनकी पूजा ज्यादातर व्यवसायी लोग करते हैं।

इनकी नियमित आरती करने से कार्य स्थल से जुड़े लोग या व्यवसायी लोगो को अधिक लाभ मिलता है और उनके व्यवसाय में वृद्धि होती है। कायस्थ समाज के लोग इनकी पूजा अधिक करते है। आप भी इनकी आरती करके अपने व्यवसाय और धन संपदा में वृद्धि कर सकते है। यहाँ हमने आपके लिए आरती और आरती करने की विधि को विस्तार से बताया है।

श्री चित्रगुप्त जी की आरती

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे।
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तनसुखदायी।
भक्तों के प्रतिपालक,त्रिभुवनयश छायी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,प्रभुअंतर्यामी।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,प्रकटभये स्वामी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,करमें अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला,त्रिभुवनमन मोहै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,ब्रम्हाहर्षाये।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,चरणनमें धाये॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,यादतुम्हें कीन्हा।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,इच्छितफल दीन्हा॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

दारा, सुत, भगिनी,सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे

बन्धु, पिता तुम स्वामी,शरणगहूँ किसकी।
तुम बिन और न दूजा,आसकरूँ जिसकी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं,इच्छित फल पावैं॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,पापपुण्य लिखते।
‘नानक’ शरण तिहारे,आसन दूजी करते॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे।
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥

आप श्री चित्रगुप्त महराज जी के अलावां Chandrdev Ki Aarti और surya dev ki aarti को भी कर सकते हैं जो आपके लिए लाभदायक हो सकता है।

Shri Chitrgupt Ji Ki Aarti करने की विधि

  1. स्नान: सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर आप स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। यह पूजा की स्वछता और पवित्रता के लिए आवश्यक है।
  2. पूजा स्थल: एक साफ और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
  3. मूर्ति स्थापना: एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर भगवान चित्रगुप्त जी की चित्र या प्रतिमा की स्थापना करें। 
  4. अर्पित करें: श्री चित्रगुप्त जी महराज को फल, फूल, माला, धूप, मिठाई, सादा कागज व पेन चढ़ाये। पेन और कागज महाराज चित्रगुप्त जी का प्रतीक माना जाता है।  
  5. पूजा व ध्यान: चढ़ावा देने के बाद आप घी का दीपक जलाकर मूर्ति के सामने रखे उसके बाद उनका ध्यान करें। 
  6. आरती: पूजा के बाद ऊंचे स्वर में चित्रगुप्त जी की आरती करें। आरती के साथ आप ताली और घंटी भी सकते है।
  7. प्रसाद वितरण: आरती के बाद सभी लोगो को प्रसाद बाटें। यह कार्य आपको पुण्य प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
  8. समापन: भगवान चित्रगुप्त जी की आरती करने के बाद आप उनसे अपने व्यवसाय में उन्नति और परिवार की सुख -शांति के लिए प्रार्थना करें और आशीर्वाद मांगकर पूजा का समापन करें । 

आरती करने से होने वाले लाभ

  • उन्नति: श्री चित्रगुप्त जी महराज की आरती करने से व्यवसायियों के व्यापार में बढ़ोतरी होती है। 
  • कर्म: इनकी आरती करने से श्री चित्रगुप्त जी आप को बुरे कार्य करने से रोकते हैं। 
  • सुख -समृद्धि: चित्रगुप्त महराज की पूजा करने से आप के परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। 
  • अच्छा स्वास्थ्य: इनकी कृपा से आप का स्वास्थ्य सदा अच्छा रहता है। 
  • जीवन में तरक्की: इनकी आरती करने से आप के जीवन में सदा तरक्की होती रहती है
  • मोक्ष: नियमित रूप से इनकी आरती करने से व्यक्तियों को नर्क से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • धर्म और न्याय: इनकी करने आरती से व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है, जिससे वह जीवन में न्यायप्रिय और धर्मनिष्ठ बनता है।
  • ज्ञान और लेखन: चित्रगुप्त जी को लेखन और ज्ञान के देवता भी माना जाता है। इनकी आरती करने से विद्यार्थियों और लेखकों को विशेष लाभ मिलता है जो व्यक्ति के बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करती है।

FAQ

इनकी आरती किस दिन की जाती है ?

इनकी पूजा दिवाली के बाद भईयादूज के दिन ही की जाती है। इस दिन को यम द्वितीय भी कहा जाता है।

चित्रगुप्त जी महराज की आरती क्यों की जाती है ?

चित्रगुप्त का अर्थ क्या है ?

श्री चित्रगुप्त पूजा के दिन क्या ध्यान रखने योग्य बातें हैं ?

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