हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस पृथ्वी पर पहला वास्तुकार और शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति के भाव से श्री विश्वकर्मा जी की आरती व पूजा पुरे भारतवर्ष में किया जाता है। Shree Vishwakarma Ji Ki Aarti उनकी कृपा, दिव्यता और शक्ति का गुणगान करती है।
विश्वकर्मा जी भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं। वे सभी शिल्पियों, कारीगरों और निर्माणकर्ताओं के आदर्श हैं। उनका वर्णन सृष्टि के सबसे महान वास्तुकार के रूप में होता है, जिन्होंने देवताओं के लिए दिव्य महल, अस्त्र-शस्त्र और स्वर्ग के रमणीय स्थल बनाए। श्री विश्वकर्मा जी की आरती गाकर हम उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनसे कृपा और सफलता की कामना करते हैं।
Shree Vishwakarma Ji Ki Aarti
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा…
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया…
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई…
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना…
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी…
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे…
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे…
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे…
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ll
!! ॐ जय श्री विश्वकर्मा !!
बाबा विश्वकर्मा जी की आरती के साथ आप Bhagwan Ganesh Ki Aarti और Vishnu Ji Ki Aarti का पाठ भी कर सकते हैं, क्योंकि भगवान गणेश को यह वरदान प्राप्त है की किसी भी शुभ कार्य में सर्व प्रथम श्री गणेश को पूजा जायेगा और बाबा विश्वकर्मा को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। इस लिए इन आरती का गान करके आप भगवान की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।
आरती करने के तरीके
- साफ -सफाई – पूजा करने से पहले मशीन, कारखाना, दुकान इत्यादि चीजों की सफाई कर लेनी चाहिए।
- स्नान- विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह में स्नान करके साफ कपड़े पहने।
- प्रतिमा और औजारों की स्थापना – इसके बाद आप गंगाजल से शुद्धि करके लाल वस्त्र बिछा कर इनकी प्रतिमा और काम में आने वाले उपकरण या औजारों को स्थापित करें।
- अर्पित करे – धूप, फूल, माला, फल, लड्डू, रोली, चंदन, पान, सुपाड़ी, अक्षत रक्षासूत्र इत्यादि भगवान को अर्पित करें।
- मन्त्र जाप – अब आप ध्यान मुद्रा में बैठ कर मन्त्र का उच्चारण करें।
- रक्षासूत्र – मन्त्र जाप खत्म करने के बाद आप रक्षासूत्र खुद को और मशीनों को बांधे।
- आरती – अब आप देशी घी का दिया और कपूर जलाकर आरती करे।
भगवान की आरती करने के निम्नलिखित लाभ हैं
- मशीनों की लम्बी आयु – आरती करने से मशीनें जल्दी खराब नहीं होती और मशीनों की आयु लम्बी होती है।
- कार्यों में तरक्की – आरती करने से कार्यों में उन्नति होती है और सभी कार्य सफल होते हैं।
- देश की प्रगति – भगवान की आरती करने से मशीनरी उपकरण रूपी आशीर्वाद द्वारा देश की भी प्रगति होती है।
- आर्थिक वृद्धि – इनकी आरती व पूजा करने से आर्थिक वृद्धि होती है।
- कारखानों का विकास – आरती व पूजा करने से कारखानों का विकास होता है।
- जीवन में शांति – भगवान जी के आशीर्वाद से जीवन में सदा शांति का एहसास होता है।
FAQ
भगवान वास्तुकार जी की पूजा व आरती कब की जाती है ?
इनकी पूजा व आरती इनकी जयंती पर की जाती है।
विश्वकर्मा जयंती कब मनाई जाती है ?
17 सितंबर को हर साल मनाई जाती है।
पूजा के दिन किस बात का ध्यान रखना चाहिए ?
इस दिन मशीनों और औजारों द्वारा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
पूजा किसको करना चाहिए ?
यह पूजा सभी को करना चाहिए क्युकि इस धरती पर सभी लोग मशीनों और औजारों का प्रयोग करते हैं।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.