Shiv Tandav Stotram | शिव तांडव स्तोत्र : शिव जी को प्रसन्न करने का मंत्र

शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण द्वारा किया गया है। इस स्तोत्र में 17 श्लोकों से भगवान शिव की स्तुति की गयी है। यह स्तुति भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। Shiv Tandav Stotram का पाठ करने से घर में धन -संपत्ति की कमी नहीं होती और भगवान शिव की  कृपा  और आशीर्वाद सदा आप पर बनी रहेगी।

यदि आप अपने भक्तिमय जीवन को और भी ज्यादा उजागर करना चाहते हैं तो आप सही जगह पर आये हैं यहाँ हमने आपके लिए सम्पूर्ण shiv tandav stotram lyrics in hindi उपलब्ध कराया है।

Shiv Tandav Stotram

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले-
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् !!
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं-
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् !!१!!

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि !!
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके-
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम !!२!!

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर-
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे !!
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि-
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि !!३!!

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे !!
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे-
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः !!
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक-
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् !!
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं-
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके !!
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम !!७!!

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः !!
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः-
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः !!८!!

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् !!
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं-
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे !!९!!

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी-
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् !!
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं-
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे !!१०!!

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् !!।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः !!११!!

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः !!
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः –
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम !!१२!!

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्-
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् !!
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः –
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् !!१३!!

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः !!
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं-
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः !!१४!!

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी-
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना !!
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः –
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् !!१५!!

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं-
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् !!
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं-
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् !!१६!!

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं-
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे !!
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां-
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः !!१७!!

!! इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम् !!

आप आपने भक्तिमय यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाने के लिए shiv tandav stotram pdf एवं अपने दिन को ऊर्जावान बनाने के लिए Shiv tandav stotram ringtone का उपयोग कर सकते हैं। जो आपके लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।

शिव तांडव करने की विधि

  • साफ – सफाई – इस स्तुति को करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहने तथा पूजा स्थान को भी साफ कर ले। 
  • पूजास्थान – शिव जी की स्तुति करने के लिए ऐसे स्थान का चयन करे जहाँ आप को कोई पूजा में बाधा न डाल सके और आप पूजा आराम से कर सकें। 
  • पूजासामग्री – धूप ,दीप फूल -फल, माला, कपूर, रोली, चंदन आदि को अपने पास रखें।  
  • ध्यान – स्तोत्र करने के लिए आप शिव जी का ध्यान शुरू करें जिससे आप का मन शांत और स्थिर हो जाये। 
  • स्वर में गाये – स्तोत्र को रावण ने ऊंची आवाज में बोलकर किया था तो आप भी इस स्तोत्र को स्वर में गाकर करें। 
  • नृत्य – इस स्तोत्र को आप चाहे तो नृत्य के साथ भी कर सकते हैं। 

शिव तांडव स्तोत्र करने के लाभ

  • धन सम्पत्ति – जो  भी व्यक्ति प्रतिदिन शिव जी  की स्तुति शिवतांडव स्तोत्र  से करता है और भगवान शिव को खुस करता है वो हमेशा धन-धान्य से सम्पन्न रहता है।
  • कला शैली – स्तोत्र करने से आप को नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान इत्यादि में सफलता प्राप्त होती है।
  • ग्रह दोष – स्तोत्र की स्तुति सच्ची श्रद्धा  से करने पर आप के जीवन में कुप्रभाव और शनि ग्रह से मुक्ति मिलती है।
  • कुंडली में दोष – जिनके भी कुंडली में सर्प योग, कालसर्प योग और पितृ दोष लगा हुआ है स्तुति करने से इन दोषों से मुक्ति मिलती  है।
  • वाणी की  सिद्धि – भगवान शिव की प्रतिदिन पाठ करने से वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ण – पाठ करने से आप की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • आत्मबल – शिव तांडव स्तुति करने से भक्तों का आत्मविश्वास और आत्मबल बढ़ता है, जिससे जीवन  में हमेशा सफलता प्राप्त होती है।

FAQ

शिव तांडव स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए ?

सुबह के समय स्नान करने के बाद या प्रदोषकाल में पढ़ना चाहिए।

क्या तांडव स्तोत्र का पाठ कौन-कौन कर सकता है?

इस स्तोत्र कौन-कौन सी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं?

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