Shiv Tandav Stotram Ringtone

शिव तांडव रिंगटोन | Shiv Tandav Ringtone

शिव का तांडव केवल नृत्य नहीं, यह सृष्टि की रचना और संहार की गूंज है। Shiv Tandav Ringtone उसी दिव्य कंपन का प्रतीक है, जो आत्मा में जोश, साहस और गहराई जगाता है। यह रिंगटोन शिवभक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभव है — जो हर बार सुनते ही दिल और चेतना को झकझोर देता है। … Read more

शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।  डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम॥1॥ जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी। विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं॥2॥  धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥3॥ जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे। मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥4॥  सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः। भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः॥5॥ ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌। सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः॥6॥ कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके। धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम॥7॥ नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः। निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः॥8॥  प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌ स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे॥9॥ अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌। स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे॥10॥ जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट् धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः॥11॥ दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः। तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे॥12॥ कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌। विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥ निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः। तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः॥14॥ प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना। विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌॥15॥ इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌। हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम॥16॥ पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे। तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥17॥ ॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥

Shiv Tandav Stotra Lyrics | शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स

शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स आपके धार्मिक कार्यो में अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। इसके प्रयोग से आप स्तोत्र को बिना किसी कठिनाई के पढ़ सकतें है और अपने पाठ को और प्रभावशाली बना सकते है। यह स्तोत्र भगवन शिव की भक्ति और स्तुति के लिए समर्पित है Shiv Tandav Stotram में भगवान शिव के तांडव … Read more

Shiv Panchakshar Stotra Lyrics नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय...! भस्माङ्गरागाय महेश्वराय !! नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय...! तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय...! नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय !! मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय...! तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥ शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द...! सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय !! श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय...! तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥ वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य...! मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय !! चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय...! तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥ यक्षस्वरूपाय जटाधराय...! पिनाकहस्ताय सनातनाय !! दिव्याय देवाय दिगम्बराय...! तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥ पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ !! शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते !!

शिव पंचाक्षर स्तोत्र | Shiv Panchakshar Stotra Lyrics : नमः शिवाय का गुणगान

शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव के गुणों का बखान करने वाला एक प्रमुख स्तोत्र है जिसे हमारे हिन्दू धर्म में अधिक महत्व दिया जाता है। इस स्तोत्र में पाँच अक्षरों का (नमः शिवाय) महत्त्वपूर्ण गुणगान होता है, जो भगवान शिव की महत्त्वपूर्ण  बातों को बताता है।यह Shiv Panchakshar Stotra Lyrics व्यक्ति के मन को शांत रखता है बुद्धि और … Read more

Dwadash Jyotirling Stotram सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् ! भक्तप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये !! १ !! श्रीशैलशृङ्गे विविधप्रसङ्गे शेषाद्रिशृङ्गेऽपि सदा वसन्तम् ! तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेनं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् !! २ !! अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् ! अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् !! ३ !! कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय ! सदैव मान्धातृपुरे वसन्तं ओङ्कारमीशं शिवमेकमीडे !! ४ !! पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसं तं गिरिजासमेतम् ! सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि !! ५ !! याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः ! सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये !! ६ !! महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः ! सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे !! ७ !! सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे ! यद्दर्शनात् पातकं पाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे !! ८ !! श्रीताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसङ्ख्यैः ! श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि !! ९ !! यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च ! सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि !! १० !! सानन्दमानन्दवने वसन्तं आनन्दकन्दं हतपापबृन्दम् ! वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये !! ११ !! इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् ! वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये !! १२ !! ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण ! स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च !! !! इति श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र पूर्ण !!

द्वादश ज्योतिर्लिंग | Dwadash Jyotirling Stotram : दर्शन से अध्यात्म जीवन सफल

हिन्दू मान्यता के अनुसार जब तक आप द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं कर लेते तब तक आप अध्यात्म जीवन पूर्ण नहीं माना जाता है। ये सभी ज्योतिर्लिंग सामान्य नहीं होते है ,ऐसा माना जाता है की इन बारह जगहों पर भगवान भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए तब जाकर ये ज्योतिर्लिंग उतपन्न हुए हैं। इन ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने … Read more

Shiv Tandav Stotram जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले- गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् !! डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं- चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् !!१!! जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि !! धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके- किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम !!२!! धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर- स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे !! कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि- क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि !!३!! जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा- कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे !! मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे- मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर- प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः !! भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक- श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा- निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् !! सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं- महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल- द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके !! धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक- प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम !!७!! नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्- कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः !! निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः- कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः !!८!! प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा- वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् !! स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं- गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे !!९!! अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी- रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् !! स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं- गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे !!१०!! जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस- द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् !!। धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल- ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः !!११!! दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः !! तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः - समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम !!१२!! कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्- विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् !! विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः - शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् !!१३!! निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः !! तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं- परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः !!१४!! प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी- महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना !! विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः - शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् !!१५!! इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं- पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् !! हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं- विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् !!१६!! पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं- यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे !! तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां- लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः !!१७!! !! इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम् !!

Shiv Tandav Stotram | शिव तांडव स्तोत्र : शिव जी को प्रसन्न करने का मंत्र

शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण द्वारा किया गया है। इस स्तोत्र में 17 श्लोकों से भगवान शिव की स्तुति की गयी है। यह स्तुति भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। Shiv Tandav Stotram का पाठ करने से घर में धन -संपत्ति … Read more