Tujhe Pita Kahu Ya Mata
तुझे पिता कहूं या माता,
तुझे मित्र कहूं या भ्राता,
सौ सौ बार नमन करता हूँ,
चरणों में झुकाकर माथा,
तुझे पिता कहूँ या माता………
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ,
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
जो भी आया दर पर तेरे,
तूने बात ना उसकी टाली,
प्रभु तेरी कुदरत से ही,
एक हाथ से बज जाए ताली,
जो तेरे दर का भिखारी,
वो कुछ ना कुछ तो पाता,
सौ सौ बार नमन करता हूँ,
चरणों में झुकाकर माथा,
तुझे पिता कहूँ या माता………
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ,
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
जिस भक्त ने तुझे पुकारा,
तू आके ह्रदय में समाया,
कभी भक्त की करुणा सुनकर,
तूने उसका कष्ट मिटाया,
कण कण में तू ही बसा है,
पर कही नज़र नही आता,
सौ सौ बार नमन करता हूँ,
चरणों में झुकाकर माथा,
तुझे पिता कहूँ या माता……….
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ,
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
है धरा पाप से बोझल,
तब हमने तुझको पुकारा,
अब धीरज ड़ोल रहा है,
तू दे दे हमे सहारा,
बिन तेरे इस दुनिया में,
हमें कोई नज़र नही आता……….
सौ सौ बार नमन करता हूँ,
चरणों में झुकाकर माथा,
तुझे पिता कहूँ या माता………
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ,
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
तुझे पिता कहूं या माता,
तुझे मित्र कहूं या भ्राता,
सौ सौ बार नमन करता हूँ,
चरणों में झुकाकर माथा,
तुझे पिता कहूँ या माता……..
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ,
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile