Shiv Naam Japne Ki Raat Aai Bhajan Lyrics
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
कौन गंगा को सर पे उठाता,
कौन धरती को पावन बनाता,
गंगा की तीव्रता,
कौन रोके भला,
देवताओ को तब,
शिव की याद आई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
भोले बाबा के गुणगान गालो,
अपना सोया नसीबा जगालो,
वो दयालु बड़े,
वो कृपालु बड़े,
सारी खुशिया है,
बाबा से मेने पाई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
कबसे प्यासे है मेरे ये नैनन,
अब तो देदो बाबा मुझको दर्शन,
मुझको कहता जगत,
हां भोले तेरा भगत,
भक्ति ‘आतिश’ की,
‘लख्खा’ है रन्ग लाई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile