शिव की जटा से बरसे गंगा की धार है भजन लिरिक्स

शिव की जटा से बरसे गंगा की धार एक अद्भुत भजन है, जो भगवान शिव की महानता और उनकी जटाओं से निकलने वाली गंगा की पवित्र धारा का वर्णन करता है। इस भजन में भगवान शिव की शक्ति और उनकी करुणा का अद्वितीय रूप दिखाई देता है, जहां गंगा माता की अविरल धारा शिव की जटाओं से बहती है। यह भजन भक्तों के दिलों में एक शांति और आस्था का संचार करता है, जो भगवान शिव के साथ जुड़ी हुई पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है।

Shiv Ki Jata Se Barase Ganga Ki Dhar Hai

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है।
गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

कावड़िये भर भर के,
चढाने कावड़ निकले है।
हर जुबां से बम बम के,
जय जयकारे निकले है,
शिवमय हुआ है देखो।
सारा संसार है,
सारा संसार है।
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

भोले की भक्ति में,
झूम रहे नर और नारी है।
अभिषेक करने को,
भीड़ पड़ी भी भारी है,
सजा है शिवालय देखो।
आज सोमवार है,
आज सोमवार है।
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

मेरा भोला बाबा है,
इनके भक्त सभी प्यारे।
इक लौटा जल से ही,
कर दे ये वारे न्यारे।
‘राघव’ मिला है जो भी,
बाबा का प्यार है,।
बाबा का प्यार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है।
गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

इस भजन के माध्यम से, हम शिवजी के असीम महानता और उनके पवित्र गुणों को महसूस कर सकते हैं। जैसे महिमा भोलेनाथ की सुनाएंगे और जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ जैसे भजन भी शिवजी के अद्भुत रूप और शक्ति को चित्रित करते हैं, वैसे ही इस भजन में भी शिव की महानता का विस्तार से वर्णन किया गया है। शिव की जटा से गंगा की धारा बहती है, यह संदेश हमें इस भजन में भगवान शिव की असीम शक्ति और उनकी कृपा का अनुभव कराता है।









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