आज हम जिस भजन का भावपूर्ण स्मरण करने जा रहे हैं, वह है शीश गंगा गले नाग काला दूल्हा बनके चला डमरू वाला यह भजन भगवान शिव के विवाह रूप का मनोरम चित्र प्रस्तुत करता है, जिसमें वे गले में नाग, जटाओं में गंगा और हाथों में डमरू लिए हुए दूल्हा बनकर चलते हैं। यह भजन हमें शिव जी के जीवन के उस विशेष प्रसंग से जोड़ता है, जो भक्तों के मन को भक्तिभाव और प्रेम से भर देता है।
Shish Ganga Gale Naag Kala Dulha Banke Chala Damaru Wala
शीश गंगा गले नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला,
सारे देवों में देव निराला,
हाँ मेरा भोला बड़ा भोला भाला,
शीश गंगा गले नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
सजधज आज चले शम्भू,
मन में फुट रहे लड्डू,
दिल में ज्यादा ब्याह का चाव,
आज जमीं पे पड़े ना पाँव,
भोले जी इतराते है,
सब बलिहारी जाते है,
भेष शिव ने बनाया निराला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
नंदी बेल सवारी है,
पूरी हुई तयारी है,
भांग धतूरा साथ लिया,
त्रिशूल डमरू हाथ लिया,
भस्मी का मल के उबटन,
चले है गौरा को ब्याहन,
कंठ में पहनी रुण्डो की माला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
बिच्छू सर्पो के गहने,
औघड़दानी ने पहने,
देव मनुष्य और भुत पिशाच,
बन बाराती रहे है नाच,
पेट पे तबला बजा रहे,
शोर भयंकर मचा रहे,
मन में मुस्काए दीनदयाला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
शीश गंगा गलें नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला,
सारे देवों में देव निराला,
हाँ मेरा भोला बड़ा भोला भाला,
शीश गंगा गलें नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
शीश गंगा गले नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला,
सारे देवों में देव निराला,
हाँ मेरा भोला बड़ा भोला भाला,
शीश गंगा गले नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
सजधज आज चले शम्भू,
मन में फुट रहे लड्डू,
दिल में ज्यादा ब्याह का चाव,
आज जमीं पे पड़े ना पाँव,
भोले जी इतराते है,
सब बलिहारी जाते है,
भेष शिव ने बनाया निराला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
नंदी बेल सवारी है,
पूरी हुई तयारी है,
भांग धतूरा साथ लिया,
त्रिशूल डमरू हाथ लिया,
भस्मी का मल के उबटन,
चले है गौरा को ब्याहन,
कंठ में पहनी रुण्डो की माला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
बिच्छू सर्पो के गहने,
औघड़दानी ने पहने,
देव मनुष्य और भुत पिशाच,
बन बाराती रहे है नाच,
पेट पे तबला बजा रहे,
शोर भयंकर मचा रहे,
मन में मुस्काए दीनदयाला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
बम भोला बम भोला बम भोला,
बम भोला बम भोला बम भोला।
शीश गंगा गलें नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला,
सारे देवों में देव निराला,
हाँ मेरा भोला बड़ा भोला भाला,
शीश गंगा गलें नाग काला,
दूल्हा बनके चला डमरू वाला।।
“शीश गंगा गले नाग काला दूल्हा बनके चला डमरू वाला” जैसे भजन शिव जी के विलक्षण और अलौकिक स्वरूप की झलक प्रस्तुत करते हैं, जिससे भक्तों का मन भावविभोर हो जाता है। शिव जी के ऐसे भजनों को पढ़ने और करने से उनके रूप, लीलाओं और महिमा की गहराई को समझा जा सकता है। यदि यह भजन आपके मन को छू गया हो, तो आप “भोले के गले में काला नाग डोले”, “जय हो शिव भोला भंडारी”, “शिव शंकर चले कैलाश” तथा “सारे जगत में एक तू शिवजी” जैसे अन्य भजनों को भी अवश्य पढ़ें और शिव भक्ति की अनुभूति को और भी गहरा बनाएं।

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile