Sawan Me Kanwar Utha Lete Hai Bhole
भोले दानी तुम हो ज्ञानी,
तेरी शरण में गौरा रानी,
सावन में काँवर उठा लेते हैं भोले,
गंगा जल सबही चढ़ा देते हैं भोले,
गंगा जल सबही चढ़ा देते है॥
बनके कांवरिया चला सांवरिया,
पहना है गेरू रंग बाँधी पगड़िया,
कांधे पे काँवर पांव घुंगरू बजाते,
भोले के धुन सब भंग पी जातें हैं,
मस्ती में सबकुछ भुला देते हैं भोले,
सावन में कंवर उठा लेते हैं भोले,
गंगा जल सबही चढ़ा देते है।
बरसे है सावन झूम झूम के बदरिया,
भीगी है काँवर और भीगे कावंरिया,
जाऊंगा हरीद्वार जल भर के लाऊंगा,
भोले के शिवलिंग पे जल मै चढ़ाऊंगा,
पैरो में छाले पड़ गएँ है मेरे भोले,
सावन में कंवर उठा लेते हैं भोले,
गंगा जल सबही चढ़ा देते है।
तेरी ये भोला भांग पीसी ना जाती है,
घोटत घोटत हाँथ पड़ जातें छाले है,
तुम तो गंजेड़ी और भगेड़ी भोले दानी हो,
मेरे जीवन में भी इक लाये परेशानी हो,
विनय कलामु जल चढ़ा जाता है भोले,
चन्दन चरन में भी आ जाता है भोले,
नीलकंठ जल वो चढ़ा जाता है।

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile