मुझे शिव से नहीं, शिव में मिलना है भजन लिरिक्स

शिव ही संहार हैं, शिव ही सृजन हैं, और शिव ही मोक्ष का मार्ग हैं। जब एक भक्त अपने जीवन का हर पल शिव को समर्पित कर देता है, तब उसका अंतिम लक्ष्य केवल शिव में विलीन हो जाना होता है। शिव में मिलना है भजन इसी आध्यात्मिक सत्य को उजागर करता है, जहाँ भक्त अपने तन-मन को शिवमय कर, उनकी शरण में जाने की प्रार्थना करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी शिव से जुड़ने का संकल्प लें।

Mujhe Shiv Se Nahi, Shiv Me Milna Hai


दोहा –

कितना रोकूं मन के शोर को,
ये कहा रुकता है,की शोर से परे,
उस मौन से मिलना है,
मुझे शिव से भी नहीं,
शिव में मिलना हैं।

मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना है,
अपने अहम की,
आहुति दे जलना है,
मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना हैं।1।

क्यों मुझे किसी और के,
कष्टों का कारण बनना है,
चाँद जो शीश सुशोभित,
उस चाँद सा शीतल बनना है,
उस चाँद सा शीतल बनना है,
मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना हैं।2।

जितना मैं भटका,
उतना मैला हो आया हूँ,
कुछ ने है छला मोहे,
कुछ को मैं छल आया हूँ,
कुछ को मैं छल आया हूँ,
मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना हैं।3।

मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना हैं,
अपने अहम की,
आहुति दे जलना है,
मुझे शिव से नहीं,
शिव में मिलना हैं।4।

जब मनुष्य शिव को अपना सर्वस्व मान लेता है, तब हर सांस एक मंत्र बन जाती है और हर कर्म शिव की पूजा। यदि यह भजन आपके मन में शिव भक्ति का दीप प्रज्वलित कर रहा है, तो भोले के हाथों में है भक्तों की डोर, जिसकी लागी लगन भोलेनाथ से, हर घड़ी भोले दिल में रहा कीजिए और सच्चे मन से उन्हें पुकारो दौड़े आएंगे शिवनाथ जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और शिव आराधना में लीन हो जाएं। हर हर महादेव! ????????

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