महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई भजन लिरिक्स

भजन महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई उसी दिव्य अनुभूति का वर्णन करता है, जिसमें एक भक्त महाकालेश्वर की नगरी के सौंदर्य, भक्ति, और अलौकिक शक्ति का गुणगान करता है। यह भजन हमें उज्जैन की गलियों, मंदिरों और शिव आराधना के उस दिव्य वातावरण में डुबो देता है, जहाँ हर क्षण “जय महाकाल” की गूंज सुनाई देती है। आइए, इस भजन को पढ़कर हम भी महाकाल की भक्ति में रम जाएं।

Mahakal Ki Nagari Mere Man Ko Bha gayi

दोहा –
मोक्षदायिनी अवंतिका,
शिप्रा जल की धार
पाप कटे मुक्ति मिले,
महाकाल दरबार।

महाकाल की कृपा से,
तो दुनिया चल रही है
जितना दिया बाबा ने,
किस्मत बदल रही है
महाकाल की नगरी,
मेरे मन को भा गई
उज्जैन नगरी आया हूं,
बाबा तेरे लिए
पहुंचा दिया है तेरे,
करम ने कहाँ मुझे
महाकाल की नगरीं,
मेरे मन को भा गई।।

भगत हूं मैं उनका,
उन्हीं का दीवाना
बाबा के चरणों में मुझे,
जीवन को बिताना
जिस दिन में से मेरे भोले की,
कृपा मुझ पर हुई
जीवन में मेरे खुशियों की,
बहार आ गई
महाकाल की नगरीं,
मेरे मन को भा गई।।

सावन में जब महाकाल,
तेरी सवारी आए
दर्शन को बाबा तेरे,
देखो भीड़ लग जाए
मैं कुछ भी नहीं हूं,
मेरे दाता तेरे बिना
तेरे दर्शन के लिए,
भोले आया हूं यहां
महाकाल की नगरीं,
मेरे मन को भा गई।।

महाकाल की कृपा से,
तो दुनिया चल रही है
जितना दिया बाबा ने,
किस्मत बदल रही है
महांकाल की नगरी,
मेरे मन को भा गई
उज्जैन नगरी आया हूं,
बाबा तेरे लिए
पहुंचा दिया है तेरे,
करम ने कहाँ मुझे
महाकाल की नगरीं,
मेरे मन को भा गई।।

महाकाल की नगरी उज्जैन शिव भक्ति का वह केंद्र है, जहाँ हर भक्त को दिव्यता और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। जो भी श्रद्धा और प्रेम से महाकाल का स्मरण करता है, उसे जीवन में हर कठिनाई से मुक्ति मिलती है। अगर आप भगवान शिव और उनके अलौकिक रूप को और अधिक महसूस करना चाहते हैं, तो हे शिव शम्भू करुणा सिंधु जग के पालनहार , दूल्हा बने त्रिपुरारी जू, शिव भोला भंडारी जू , भोले के दर से सबकुछ मिला , और मेरे भोले की सवारी आज आयी जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और शिव भक्ति का आनंद लें। हर-हर महादेव! 🚩

Share

Leave a comment