Jo Bhole Sang Vyah Rachavegi
मैया समझाए रही पार्वती तू रोएगी पछताएगी
जो भोले संग ब्याह रचावेगी…..
भोला पर्वत को वासी है,
बेटी तुझे बता दियो काशी है,
वहां पड़े जोर की ठंड लल्ली तू सिकुड़ सिकुड मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी……
वाके हाथ कमंडल पीतल का,
बाघमबर पहरे शेरों का,
डमरू की तान पर नाचे भूत तू देख देख डर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी……
वह तो 80 साल का बुड्ढा है,
वाके सिर पर बंद रहे हो जुड़ा है,
वाके गले भुजंगी नाग लली री तू देख देख डर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी……
बेटी भांग धतूरा वह खावे,
सिलबट्टा तोपे पिसबाबे,
वह तो रहे नशे में भंग लली रे तू घोट घोट मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी……
वह करता बैल सवारी है,
वाके संघ ना घोड़ा गाड़ी है,
पैरन में पड़ जाए छाले लली री तू चल चल के मर जावेगी,
जो भोले संग ब्याह रचावेगी……

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile