हे त्रिपुरारी गंगाधरी सृष्टि के आधार भजन लिरिक्स

हे त्रिपुरारी गंगाधरी सृष्टि के आधार भजन भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य रूप का गुणगान करता है। इस भजन में शिव जी को त्रिपुरारी, गंगाधरी और सृष्टि के आधार के रूप में पूजा जाता है। यह भजन भगवान शिव के अजेय रूप और उनकी शक्तियों को स्वीकार करते हुए उनकी उपासना में एकात्मता की भावना पैदा करता है।

Hey Tripurari Gangadhari Srishti Ke Aadhar Bhajan Lyrics

हे त्रिपुरारी गंगाधरी,
सृष्टि के आधार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार।।

शिव शंकर है नाम तिहारा,
चंद्रशेखर शिव अगहारा,
दानी महादानी शिव शंकर,
दानी महादानी शिव शंकर,
करते बेड़ा पार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार।।

गौरा जी के प्राण प्यारे,
कार्तिक गणपत आँख के तारे,
त्रिपुंड धारी है नटराजा,
पहने सर्प हार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार।।

नीलकंठ जय भीमाशंकर,
महाकाल जय जय अभ्यंकर,
मृगछाला और भस्मी धारी,
जय जय डमरू धार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार।।

हे त्रिपुरारी गंगाधरी,
सृष्टि के आधार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार।।

“हे त्रिपुरारी गंगाधरी सृष्टि के आधार” भजन के द्वारा हम भगवान शिव की अनंत महिमा का एहसास करते हैं। उनके हर रूप में एक विशेष शक्ति और करुणा का वास है। इस भजन के माध्यम से त्रिपुरारी शिव, गंगाधरी महादेव और सृष्टि के रचयिता शिव जी की आराधना में ध्यान केंद्रित करें। इन भजनों को पढ़ें और भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन को पवित्र और शांत बनाएं।

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