हमें धन की दौलत की चाह नहीं हम शिव के चेले है लिरिक्स

हमें धन की दौलत की चाह नहीं, हम शिव के चेले हैं इस भजन में भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति का अनुभव किया जाता है। यह भजन उन भक्तों का गीत है, जो केवल शिव के चरणों में निष्ठा रखते हुए इस दुनिया की भौतिक दौलत और सुख से परे हैं। इस भजन के माध्यम से, भक्तों का यह संदेश है कि उन्हें केवल भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद की आवश्यकता है, न कि भौतिक संपत्ति की। आइए, इस भजन को पढ़ते हुए भगवान शिव की महिमा और भक्ति में अपने मन को लीन करें।

Hame Dhan Ki Daulat Ki Chah Nahi Hum Shiv ke Chele Hai

हमें धन की दौलत की चाह नहीं,
हम शिव के चेले है।
हम शिव के चेले है,
अपने मालिक भोले है।
हमें दुनिया की परवाह नहीं,
हम शिव के चेले है।।

भस्म रमाए तन पर,
शिवशम्भु तो वन वन घूमे,
औघड़ रूप सजाकर अपनी।
मस्ती में वो झूमे,
लगा दे आसन जहाँ,
वहां लग जाते मेले है।
हमे धन की दौलत की चाह नही,
हम शिव के चेले है।।

महादेव के नाम की हमको,
ऐसी लगन लगी है।
हर हर नमः शिवाय की मन में,
अब तो अलख जगी है।
शिव रहते मेरे साथ यही,
हम नहीं अकेले है।
हमे धन की दौलत की चाह नही
हम शिव के चेले है।।

स्वर्ग नहीं बैकुंठ नहीं,
ना मोक्ष की हमको आशा।
‘उर्मिल’ तो बस शिव शम्भू के,
दर्शन का है प्यासा,
शिव के सिवा कोई राह नहीं।
यहाँ बड़े झमेले है,
हमे धन की दौलत की चाह नही,
हम शिव के चेले है।।

हमें धन की दौलत की चाह नहीं,
हम शिव के चेले है।
हम शिव के चेले है,
अपने मालिक भोले है।
हमें दुनिया की परवाह नहीं,
हम शिव के चेले है।।


हमें धन की दौलत की चाह नहीं, हम शिव के चेले हैं भजन की यह पंक्ति भगवान शिव के प्रति अपने समर्पण और विश्वास का सजीव उदाहरण है। शिव जी के भक्त हमेशा भौतिक सुख-संसार से ऊपर उठकर केवल उनके चरणों में आत्म-संप्रेरित होते हैं। यही कारण है कि उनके भजनों में गहराई और आत्मिक शांति का अहसास होता है। अगर आप शिव जी के साथ अपनी भक्ति को और भी मजबूत करना चाहते हैं, तो भोलेनाथ मेरे मरने से पहले ऐसी चिलम पिला देना, जय महाकाल, और भोले के भक्तों का ऐसा यश है जैसे भजनों को भी पढ़ें। शिव की भक्ति में हर पल शांति और आनंद मिलेगा।

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