दूल्हा उज्जैनी वाला पहने है मुंड की माला लिरिक्स

दूल्हा उज्जैनी वाला, पहने है मुंड की माला —यह भजन स्वयं महाकाल की अद्भुत छवि को उजागर करता है। उज्जैन के राजा, कालों के काल महादेव, जो मस्तक पर चंद्रमा धारण करते हैं और गले में मुंडमाला धारण किए हुए हैं, उनकी अनोखी बारात का वर्णन इस भजन में किया गया है। यह भजन हमें शिवजी की भस्म रमाए, औघड़दानी रूप की भक्ति में डुबो देता है और उनकी निराली शान का गुणगान करता है।

Dulha Ujjaini wala pahne Hain Mund Ki Mala Lyrics

दूल्हा उज्जैनी वाला,
पहने है मुंड की माला।

दोहा – शिव समान दाता नहीं,
ना विपत निवारण हार
लज्जा मोरी राखियो,
शिव नंदी के असवार।।

दूल्हा उज्जैनी वाला,
पहने है मुंड की माला
सज के चले है महाकाल,
लेओ रे नजर उतार।।

हल्दी के साथ में भोले,
भस्मी रमाए है
सेहरे के साथ में भोले,
जटा बढ़ाए है
गले में नाग की माला,
पहने है ये मृगछाला
नंदी पे होके सवार,
लेओ रे नजर उतार।।

शेर और सियार चलते,
और भैरव अगवाड़ी है
चामुंडा मैया चलती,
कालका महारानी है
भूतों की टोली चलती,
प्रेतों की टोली चलती
चलते है बाबा महाकाल,
लेओ रे नजर उतार।।

उज्जैनी नगरी सारी,
मस्ती में झूम रही है,
क्षिप्रा के पावन तट पर
दुनिया ये घूम रही है,
पीकर के भर भर प्याले
नाचे होकर मतवाले,
भक्तों के संग में महाकाल,
लेओ रे नजर उतार।।

दुल्हा उज्जैनी वाला,
पहने है मुंड की माला
सज के चले है महाकाल,
लेओ रे नजर उतार।।

महाकाल की महिमा अपरंपार है, उनकी बारात अनोखी और उनकी भक्ति अमिट है। शिवभक्त जब उनकी भक्ति में रम जाता है, तो उसे संसार की हर बाधा से मुक्ति मिलती है। ऐसे ही महादेव की महिमा को और गहराई से अनुभव करने के लिए भोले शंकर की शान निराली आए हैं आज दूल्हा बनके , महाकाल की गुलामी मेरे काम आ रही है , चलता चल रे भक्ता महाकाल सवारी में , और भोले ने जिसे चाहा मस्ताना बना डाला जैसे अन्य शिव भजनों को भी करें और शिव कृपा प्राप्त करें। ????????

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