दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे शिव भजन लिरिक्स

दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे यह भजन शिव जी के विवाह के रूप में उनकी दिव्य महिमा को दर्शाता है। त्रिपुरारी, जो तीनों लोकों के स्वामी और भगवान शिव का एक अन्य नाम है, इस भजन में उनके जीवन के एक और पहलू को उजागर किया गया है। शिव जी की शक्ति, उनका सौम्यता, और उनकी भक्तों के प्रति असीमित प्रेम इस भजन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इस भजन को सुनते हुए भक्तों को शिव जी के संपूर्ण रूप का दर्शन होता है, जिसमें उनका दूल्हा रूप, उनके प्यार और उनके अनंत आशीर्वाद का अनुभव होता है।

Dulha Ban Aaye Tripurari Re

दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार…
पहने सरपो के हार,
लागे सुंदर छबि प्यारी रे,
त्रिपुरारी।।


गंगा को प्रभु जी शीश में धारे,
कानों पे सर्पों के कुंडल डारे,
सर्पों की माला है कंठ में हाला…
श्री चंद्रधारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी।।


मरघट की राख को अंग रमाये,
कंठ में काले काले नाग लहराए,
मस्तक विशाला है त्रिनेत्र वाला है…
त्रिशूलधारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी।।


भांग धतूरे को खाने वाला है,
सब देवों में देव निराला है,
सर्प और ततैया हैं बिच्छू बरैया हैं…
बाग़म्बरधारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी।।


ब्रम्हा विष्णु देव बराती,
भूत प्रेत सब संगी साथी,
रूप विशाला है सबसे निराला है…
राजेन्द्र छबि प्यारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी।।


दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे,
त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार…
पहने सरपो के हार,
लागे सुंदर छबि प्यारी रे,
त्रिपुरारी।।


दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे जैसे भजन भगवान शिव के विभिन्न रूपों को प्रकट करते हैं, जो हर भक्त के जीवन में प्रेम और शांति लेकर आते हैं। शिव जी के इस रूप में उनकी असीम शक्ति, प्रेम और करुणा की महिमा व्यक्त होती है। जैसे शिव ने श्रृंगार किया है और तेरे जैसा कोई नहीं है जैसे भजन भी हमें उनके भक्तों के प्रति अटूट स्नेह का अनुभव कराते हैं, वैसे ही यह भजन हमें उनके दिव्य रूप में अवलोकन करने का अवसर प्रदान करता है। शिव जी के आशीर्वाद से हमारे जीवन में हर राह सुगम हो जाती है।









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