देखे री मैंने दो झूले मतवाले

Dekhe Ri Maine Do Jhule Matwale

देखे री मैंने दो झूले मतवाले,
एक पे झूले डमरू वाले एक पे मुरली वाले…..

गौरा के संग झूले सदाशिव झूले डमरू वाले,
राधा के संग झूले कन्हैया झूले बांसुरी वाले,
गंगा के संग जमुना झूले देखे दुनिया वाले…..

झूला देखने आई कैलाश पे इंद्र के संग इंद्राणी,
ब्रज में आई विष्णु जी संग लक्ष्मी जी महारानी,
नंद के संग यशोदा झूले झूला रहे सब ग्वाले….

यमुना तट पर बंधा है झूला झूला मचका खावे,
ठंडी-ठंडी चले पवन घुंघट मुख से उड़ जावे,
रिमझिम रिमझिम सावन बरसे बरसे बादल काले…..

गज मोतियन से बंधो है झूला खिली कमल सी कली कली,
घिर घिर आए कारी बदरिया चम चम चमके बिजली,
कार्तिक झूले गणपत झूले झूले नादिया वाला…..

सावन की ऋतु सदा सुहागन शिव को लगती प्यारी,
मनमोहन की मुरली पर मैं जाऊं वारी वारी,
कृष्ण राधिका दोनों झूले मन को लुभाने वाले…..

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