डमरू जो बाजे हाथों में शिव भजन लिरिक्स

डमरू जो बाजे हाथों में यह भजन शिव जी के अद्वितीय रूप और उनकी दिव्य शक्ति का प्रतीक है। डमरू, जो शिव जी के हाथों में बजी जाती है, न केवल शिव के नृत्य और उर्जा को दर्शाता है, बल्कि यह ब्रह्मांड की सृष्टि और संहार की अनवरत प्रक्रिया को भी चिह्नित करता है। इस भजन के माध्यम से, शिव की महिमा, उनके जीवन के गहरे अर्थ और ब्रह्मांड के कर्ता के रूप में उनकी स्थिति को व्यक्त किया गया है। जब शिव का डमरू बजता है, तो सम्पूर्ण सृष्टि की हलचल होती है, जो शक्ति और जागरण का प्रतीक है।

Damaru Jo Baje Hatho Me

डमरू जो बाजे हाथों में,
नाचे धरती और आकाश…
के भोले बाबा नाच रहे,
डमरू जो बाजे हाथो में।।


भांग धतूरा भोग लगे,
गले सर्पो की माला है,
गोदी में श्री गणेश जी…
संग में गौरा माता है,
तीनो लोको के स्वामी है,
तीनो लोको के स्वामी है…
ये तो खुशियां बाँट रहे,
के भोले बाबा नाच रहे,
डमरू जो बाजे हाथो में।।


आए जो इनके द्वारे,
करते है वारे न्यारे…
भूतों के स्वामी भूतेश्वर,
सबका कारज ही सारे…
तेरी भी झोली ये आज भरे,
तेरी भी झोली ये आज भरे,
तू भजन सुना प्यारे…
के भोले बाबा नाच रहे,
डमरू जो बाजे हाथो में।।


ये विश्वास मेरे मन में,
मैं शिव का शिव है मुझ में…
नित्य नियम से जो ध्यावे,
भोले है उसके वश में…
देवों में देव महादेव है,
देवों में देव महादेव है,
ये सबकी विपदा हरे…
के भोले बाबा नाच रहे,
डमरू जो बाजे हाथो में।।


डमरू जो बाजे हाथों में,
नाचे धरती और आकाश…
के भोले बाबा नाच रहे,
डमरू जो बाजे हाथो में।।


“डमरू जो बाजे हाथों में” भजन में शिव जी के शक्तिशाली और दिव्य रूप का अद्भुत चित्रण है। शिव के डमरू की ध्वनि से ही सृष्टि का चक्र चलता है, और यही उनकी शक्ति और नियंत्रण को दर्शाता है। जैसे भोलेनाथ मेरे मरने से पहले और शिव की जटा से बरसे गंगा की धार जैसे भजन भी हमें शिव की महानता और उनकी कृपा का एहसास कराते हैं, वैसे ही यह भजन शिव के रूप में हमारे जीवन को संजीवनी प्रदान करता है। शिव की भक्ति से हमारे जीवन में भी शांति और ऊर्जा का संचार होता है।









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