Bhole Ko Mere Krodh Jo Aata Hai
महादेव भगवान् को आया जब जब क्रोध,
तीन लोक में कोई भी कर ना सका विरोध,
खुश हो जाते अगर दे वरदान तुरंत,
अगर क्रोध में आ गए कर देते है अंत,
भोले तेरे क्रोध का संजो करे बखान,
हम पर क्रोध ना कीजिये शम्भु दया निधान।
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
शिव शंकर के क्रोध को कोई,
शिव शंकर के क्रोध को कोई,
रोक ना पाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
शिव शंकर के क्रोध को कोई,
शिव शंकर के क्रोध को कोई,
रोक ना पाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है।
खोज लिया मेने आदि अंत को ब्रम्हा जी बोले ओ,
खोज लिया मेने आदि अंत को ब्रम्हा जी बोले,
तब ब्रम्हा के पांच बिसर को काट दिए भोले,
तब ब्रम्हा के पांच बिसर को काट दिए भोले,
ब्रम्हा जी ने झूठ कहा था,
ब्रम्हा जी ने झूठ कहा था,
शिव को ना भाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है।
देवी सती ने हवन कुण्ड में प्राण जो त्यागा था हो,
देवी सती ने हवन कुण्ड में प्राण जो त्यागा था,
राजा दक्ष पर महादेव का क्रोध भी जागा था हो,
राजा दक्ष पर महादेव का क्रोध भी जागा था,
वीरभद्र वहां राजा दक्ष का,
वीरभद्र वहां राजा दक्ष का,
शीश उडाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है।
द्वारपाल बनकर बालक ने शिवजी को रोका हो,
द्वारपाल बनकर बालक ने शिवजी को रोका,
गुस्से में त्रिशूल चलाये खा गये शिव धोखा हो,
गुस्से में त्रिशूल चलाये खा गये शिव धोखा,
पति को पुत्र का परिचय देती,
पति को पुत्र का परिचय देती,
गिरिजा माता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है।
त्रिपुरासुर जो तीन असुर थे पाप करे भारी हो,
त्रिपुरासुर जो तीन असुर थे पाप करे भारी,
धनुष बाण मारकर इनको शिव हुए त्रिपुरारी हो,
धनुष बाण मारकर इनको शिव हुए त्रिपुरारी,
हर पापी का भोले हरदम,
हर पापी का भोले हरदम,
पाप मिटाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है।
शिव की भंग समाधि करने फुल के बाण चलाये हां,
शिव की भंग समाधि करने फुल के बाण चलाये,
आंख तीसरी खोल निरंजन कामदेव जल जाए हो,
आंख तीसरी खोल निरंजन कामदेव जल जाए,
संजो शिव को क्रोध ना आये,
संजो शिव को क्रोध ना आये,
जग ये मनाता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
भोले को मेरे क्रोध जो आता है…..

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile