भोले का रूप निराला है शिव भजन लिरिक्स

भोले का रूप निराला है भजन में शिव जी के अद्भुत रूप और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है। यह भजन शिव के सरल, फिर भी असीमित शक्ति वाले रूप का बखान करता है। पंडित सत्य प्रकाश जी के शब्दों में, यह भजन शिव की महिमा को सामने लाता है, जो हर भक्त को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसमें भक्तों को यह संदेश मिलता है कि शिव का रूप कितना निराला और अपार है, जो उनके प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति की भावना को जागृत करता है।

Bhole Ka Rup Nirala Hai Pahane vo Sarpo Ki Mala Hai

माथे पे चंदा सजाकर,
अंगो में भस्मी रमाकर।
अपनी जटा से,
गंगा को बहाकर।
बैठा है वो,
भोले का रूप निराला है,
पहने वो सर्पो की माला है।।

श्यामल रंग सजीला,
उसका तो कंठ है नीला।
मृगछाल तन पे सजाए हुए है,
भोला मेरा,
भोले का रूप निराला हैं।
पहने वो सर्पो की माला है।।

करते जब नंदी पे सवारी,
दुनिया हो जाए उनपे वारि।
श्रष्टि नियंता चले जब भ्रमण को,
सब हो मगन।
भोले का रूप निराला हैं,
पहने वो सर्पो की माला है।।

डेरा कैलाश पे जमाकर,
भक्तो का ध्यान लगाकर।
करते है क्षण में समस्या निवारण,
मेरा भोला,
भोले का रूप निराला हैं,
पहने वो सर्पो की माला है।।

माथे पे चंदा सजाकर,
अंगो में भस्मी रमाकर।
अपनी जटा से,
गंगा को बहाकर।
बैठा है वो,
भोले का रूप निराला है,
पहने वो सर्पो की माला है।।

भोले का रूप निराला है भजन में शिव जी के निराले रूप और उनकी अतुलनीय शक्ति की महिमा को प्रस्तुत किया गया है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि शिव के रूप में बसी शक्ति और प्रेम हर भक्त के जीवन को रोशन कर देती है। यदि आप इस भजन के भावों में गहरे उतरें तो आप महाकाल की शरण में, भोले शंकर की शान निराली और शिव की जटा से बरसे गंगा की धार जैसे अन्य भजनों में भी शिव की अपार कृपा और शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

Share

Leave a comment