भोले बाबा मेरा प्यारा डमरू वाला गले मे डला नाग काला

भोले बाबा मेरा प्यारा, डमरू वाला गले में डला नाग काला भजन भगवान शिव की अद्भुत रूपों और उनके दिव्य गुणों का वर्णन करता है। इस भजन में शिवजी की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है, जैसे उनका डमरू बजाना, जो ब्रह्मांड के संहार और निर्माण का प्रतीक है, और उनके गले में लटका नाग, जो उनके साहस और शक्तिशाली व्यक्तित्व को दर्शाता है। भक्त इस भजन के माध्यम से भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करते हैं, जो उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद का कारण बनते हैं।

Bhole Baba Mera Pyara Damaru Wala Gale Me Dala Naag Kala

भोले बाबा मेरा प्यारा डमरू वाला,
गले मे डला नाग काला।।

कानों में कुंडल सोहे माथे में चंद्रमा,
अनुपम है भोले तेरी मुखड़े की भंगिमा।
तीनों लोकों में तेरा बोल वाला,
गले में डला नाग काला।।

तेरी जटो से बहती गंगा की धारा,
पवन धरा को करके पापियों को तारा।
दानी तुझसा नहीं और कोई आला,
गले में डाला नाग काला।।

नंदी सवारी करते भस्म रमाये,
हाथो में डमरू तेरे डम डम डमाये।
‘राजेंद्र’ सबका है नील कंठ वाला,
गले मे डला नाग काला।।

भोले बाबा मेरा प्यारा डमरू वाला,
गले मे डला नाग काला।।

भोले बाबा मेरा प्यारा, डमरू वाला गले में डला नाग काला भजन भगवान शिव की भक्ति का एक अद्भुत तरीका है। भगवान शिव, जिनके पास अनगिनत शक्तियाँ और अद्वितीय रूप हैं, उनके इस रूप को समझकर भक्त शिव की शरण में आत्मसात हो जाते हैं। जैसे ओम जय शिव ओंकारा और शिव तांडव स्त्रोत जैसे भजन हमें शिवजी के अद्वितीय रूपों और उनके कार्यों के बारे में बताते हैं, वैसे ही इस भजन के माध्यम से हम भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को और अधिक प्रगाढ़ कर सकते हैं। शिवजी के आशीर्वाद से जीवन की सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।









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