Shiv Aarti Lyrics

Shiv Aarti Lyrics | शिव आरती लिरिक्स: शिव आरती के सुंदर बोल

शिव आरती लिरिक्स का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत गहरा और पवित्र है। भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है, और उनकी आरती करना एक भक्त के लिए परम सौभाग्य की बात मानी जाती है। Shiv Aarti Lyrics में इतनी शक्ति होती है कि यह हमारे अंतर्मन को शांति और आत्मबल प्रदान … Read more

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Om Jai Shiv Omkara PDF | ॐ जय शिव ओंकारा PDF: शिव भक्ति और शांति के लिए

वर्तमान डिजिटल युग में ओम जय शिव ओमकारा पीडीएफ के माध्यम से भक्त शिव जी आरती कर रहे है और अपने पूजा पाठ को सरल और आसान बना रहें हैं। Om Jai Shiv Omkara Pdf के माध्यम से भक्त कहीं भी और कभी भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इस आरती को पढ़ सकते हैं। … Read more

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Shiv Ji Ki Aarti Photo | शिव जी की आरती फोटो: आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक

शिव जी की आरती फोटो एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक चित्र होती है, जो भगवान शिव की आराधना में उपयोगी होती है। Shiv Ji Ki Aarti Photo में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनके प्रतीकों को दर्शाया जाता है, जैसे त्रिशूल, डमरू, गंगा, नंदी और अन्य दिव्य तत्व। शिव जी की आरती लिरिक्स … Read more

आरती ओम जय शिव ओंकारा... स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा। ओम जय शिव ओंकारा... एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे, हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे। ओम जय शिव ओंकारा... दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे, त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे। ओम जय शिव ओंकारा... अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी, त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी। ओम जय शिव ओंकारा... श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे, सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे। ओम जय शिव ओंकारा... कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता। ओम जय शिव ओंकारा... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका। ओम जय शिव ओंकारा... पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा, भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा। ओम जय शिव ओंकारा... जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला, शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला। ओम जय शिव ओंकारा... काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी, नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी। ओम जय शिव ओंकारा... त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे। ओम जय शिव ओंकारा...

Om Jai Shiv Omkara Lyrics In Hindi : हिंदी में पूर्ण लिरिक्स

ओम जय शिव ओमकारा लिरिक्स हिंदी में उपलब्ध एक दिव्य भक्ति गीत है जो भगवान शिव के आरती के दौरान गाए जाती है। यह भजन शिव आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और इसे भक्तिपूर्ण उत्साह के साथ मंदिरों, घरों, और विशेष धार्मिक अवसरों पर गाया जाता है। इस आरती के लिरिक्स में … Read more

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शिव आरती इमेज | Shiv Aarti Image : भगवान शिव की भक्ति और आराधना का दिव्य स्वरूप

शिव आरती इमेज शिव जी की भक्ति का एक अच्छा साधन है। इस इमेज में सम्पूर्ण आरती लिखित रूप में उपलब्ध है जिसे आप पढ़कर आरती कर सकते है। Shiv Aarti Image में शिव के अलौकिक स्वरुप का चित्रण है। इस इमेज का उपयोग करके आप अपनी भक्ति साधना को और मजबूत कर सकते है। … Read more

Om Jai Shiv Omkara Aarti जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा... ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा। ॐ जय शिव ओंकारा... एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे। ॐ जय शिव ओंकारा... दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे , त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे। ॐ जय शिव ओंकारा... अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी, त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी। ॐ जय शिव ओंकारा... सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी, कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी। ॐ जय शिव ओंकारा... सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे, श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे। ॐ जय शिव ओंकारा... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका , प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। ॐ जय शिव ओंकारा... लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा, पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा। ॐ जय शिव ओंकारा... त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे । ॐ जय शिव ओंकारा...

ओम जय शिव ओंकारा आरती | Om Jai Shiv Omkara Aarti : भगवान शिव की महिमा का पावन स्तोत्र

ओम जय शिव ओंकारा आरती यह एक दिव्य आरती है जो भगवान शिव की महिमा का गुणगान करती है। शिव जी, जिन्हें संहारक, रक्षक और सृजनहार माना जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनकी भक्ति में Om Jai Shiv Omkara Aarti न केवल भक्तों के हृदय को छूती है, बल्कि उन्हें … Read more

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics जय शिव ओंकारा... ॐ जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा। ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे। ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे , त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे। ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी, त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी । ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी, कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी। ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे, श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे। ॥ॐ जय शिव ओंकारा ॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका , प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका । ॥ॐ जय शिव ओंकारा ॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा, पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा। ॥ॐ जय शिव ओंकारा ॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे । ॥ॐ जय शिव ओंकारा॥

शिव जी की आरती लिरिक्स | Shiv Ji Ki Aarti Lyrics : भगवान शिव की आराधना का दिव्य स्तोत्र

शिव जी की आरती लिरिक्स शिव भक्ति का एक अनमोल रत्न है। इस आरती के बोल भगवान शिव की महिमा का बखान करते है और भक्तों के दिलों में एक अद्भुत श्रद्धा और भक्ति की भावना पैदा करती है। जब हम ॐ जय शिव ओमकारा आरती को गाते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे हम … Read more

Shiv Chalisa Aarti ॥दोहा॥   श्री गणेश गिरिजा सुवन। मंगल मूल सुजान॥ कहत अयोध्यादास तुम। देहु अभय वरदान॥ ॥चौपाई॥   जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के॥   अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे॥   मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥   नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ॥   देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥   तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा॥   त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥   दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥   प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥   पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥   एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥   जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै , भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥   त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो॥   मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥   शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं॥   नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई॥   ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी॥ पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा॥   धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥   ॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा॥ तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

शिव चालीसा आरती | Shiv Chalisa Aarti : दिव्य भक्ति स्वर

शिव चालीसा आरती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली भक्ति पाठ है, जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है। Shiv Chalisa Aarti के शब्द न केवल शिव के अद्वितीय और अलौकिक रूप का गुणगान करते हैं, बल्कि उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों और उनके … Read more

ॐ जय शिव ओमकारा जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा । ॥ ॐ जय शिव…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे । ॥ ॐ जय शिव…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे । ॥ ॐ जय शिव…॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी । ॥ ॐ जय शिव…॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे, सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे । ॥ ॐ जय शिव…॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता । ॥ ॐ जय शिव…॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका । ॥ ॐ जय शिव…॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी, नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी । ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे । ॥ ॐ जय शिव…॥

Om Jai Shiv Omkara | ॐ जय शिव ओमकारा : आरती लिखी हुई

ॐ जय शिव ओमकारा भगवान शिव की प्रसिद्ध आरती है, जिसे हिंदू धर्म के अनुयायी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाते हैं। यह Om Jai Shiv Omkara आरती भगवान शिवजी के दिव्यता का गुणगान करती है और उनके शक्तिशाली, विनाशक और सृजनकर्ता रूप का बखान करती है। शिव जी को सभी देवताओं का देवता … Read more