हरियाणा के गुरुग्राम जिसका पुराना नाम गुड़गांव है, में स्थित शीतला माता मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। Sheetla Mata Mandir भक्तों की गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो शीतला माता की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आस्था और विश्वास का भी प्रतीक माना जाता है।
Sheetla Mata Mandir Gurgaon की ख्याति पूरे देश में फैली हुई है, और यहाँ हर साल लाखों भक्त माँ शीतला के दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता शीला देवी चेचक (शीतला) और अन्य संक्रामक बीमारियों से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। भक्तगण माता की पूजा-अर्चना कर स्वास्थ्य परिवार की कामना करते हैं। इस मंदिर के बारे में पूरी जानकरी हमने यहां दी हुई है-
Sheetla Mata Mandir

मंदिर तक कैसे पहुंचे?
Sheetla Mata Mandir Gurgaon तक पहुँचने के लिए अनेक परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध हैं:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली (16.8 किमी) स्थित है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन गुरुग्राम रेलवे स्टेशन (3 किमी) पर उतरकर आप ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।
- सड़क मार्ग: गुरुग्राम बस स्टैंड (2.7 किमी)। गुरुग्राम दिल्ली, फरीदाबाद और अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। स्थानीय परिवहन के लिए ऑटो, टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
Sheetla Mata Mandir का पौराणिक इतिहास
Sheetla Mata Gurgaon का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह मंदिर गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी कृपी (किरपई) देवी को समर्पित है, जिन्हें माता शीतला के रूप में पूजा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, कृपी देवी ने अपने जीवन को बीमार बच्चों की सेवा में समर्पित कर दिया था, विशेष रूप से चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से पीड़ित बच्चों की देखभाल की। उनकी मृत्यु के बाद, श्रद्धालुओं ने उन्हें देवी के रूप में पूजना शुरू किया और इस मंदिर की स्थापना हुई।
मंदिर की स्थापना और निर्माण
ऐसा कहा जाता है कि 500 वर्षों से अधिक पुराना यह मंदिर पहले दिल्ली के केशोपुर में स्थित था। किंवदंती के अनुसार, करीब 250-300 साल पहले माँ शीतला ने गुरुग्राम के सिंघा जाट को स्वप्न में दर्शन देकर यहाँ मंदिर बनाने का आदेश दिया, जिसके बाद यह मंदिर गुरुग्राम में स्थापित हुआ।
18वीं शताब्दी में भरतपुर के जाट राजा जवाहर सिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। राजा जवाहर सिंह ने मुगलों पर विजय प्राप्त करने से पहले माँ शीतला की पूजा की थी, और जीत के उपरांत उन्होंने भव्य मंदिर का निर्माण कराया।
मंदिर की धार्मिक मान्यता और पूजन विधि
माँ शीतला को रोगों की देवी माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से चेचक, नेत्र विकार और खसरा जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
विशेष रूप से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्तजन माँ को हलवा, चावल, दही और रोट का भोग अर्पित करते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु बरगद के पवित्र वृक्ष पर मन्नत का धागा बांधते हैं, चुनरी चढ़ाते हैं और जल अर्पित करते हैं ताकि उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण हों।
मंदिर का विशेष आकर्षण
- प्राचीन बरगद का पेड़: मंदिर परिसर में स्थित यह वृक्ष श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
- विशेष पर्व और मेले: नवरात्रि, Sheetla Ashtami और अन्य पर्वों पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।
- दर्शन और पूजन का समय: मंदिर सुबह 6:00 AM से शाम 7:00 PM तक खुला रहता है।
शीतला माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत संगम है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु माँ शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करके अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरने की प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर की दिव्यता और आध्यात्मिक शक्ति इसे भारत के प्रमुख शक्ति स्थलों में स्थान प्रदान करती है।
FAQ
मंदिर के दर्शन के लिए विशेष नियम क्या हैं?
मंदिर में दर्शन के लिए सुबह-शाम आरती का आयोजन होता है, और भक्तजन प्रसाद चढ़ाकर माँ शीतला की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
क्या मंदिर में रुकने की कोई सुविधा है?
मंदिर परिसर के आसपास कई धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध हैं, जहाँ भक्तजन ठहर सकते हैं।
मंदिर में माँ शीतला की पूजा क्यों की जाती है?
मान्यता है कि माँ शीतला की पूजा करने से चेचक, नेत्र रोग और खसरा जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
क्या शीतला मंदिर का संबंध गुरु द्रोणाचार्य से है?
जी हाँ, यह मंदिर गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी कृपी (किरपई) को समर्पित है, जिन्हें बाद में माँ शीतला के रूप में पूजा जाने लगा।

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile