शांता दुर्गेची आरती देवी शांतादुर्गा को समर्पित एक अत्यंत भक्तिमय और प्रभावशाली प्रार्थना है। देवी शांतादुर्गा गोवा की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं, जिन्हें करुणा, शांति और न्याय का प्रतीक माना गया है। Shanta Durgechi Aarti उनके अद्वितीय स्वरूप और दिव्य गुणों का वर्णन करती है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक आनंद और देवी की कृपा प्राप्त होती है। शांतादुर्गा देवी को विष्णु और महादेव के बीच के संघर्ष को समाप्त कर शांति स्थापित करने के लिए जाना जाता है।
उनकी आरती का पाठ करते समय उनके भव्य और शांतिमय स्वरूप का ध्यान करना भक्तों को मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है। आरती के का पाठ देवी के प्रति समर्पण और आभार प्रकट करने का एक सुंदर माध्यम है। माना जाता है कि इसका नियमित गान जीवन के कष्टों और परेशानियों को दूर कर भक्तों को सुख-शांति प्रदान करता है। हमने आपके सुविधा के लिए इस आरती को नीचे आपके लिए उपलब्ध कराया है।
आरती
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
भूकैलासा ऐसी ही कवला नगर
शांतादुर्गा तेथे भक्तभवहारी,
असुराते मर्दुनिया सुरवरकैवारी
स्मरती विधीहरीशंकर सुरगण अंतरी।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
प्रबोध तुझा नव्हे विश्वाभीतरी
नेति नेति शब्दे गर्जती पै चारी,
साही शास्त्रे मथिता न कळीसी निर्धारी
अष्टादश गर्जती परी नेणती तव थोरी।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
कोटी मदन रूपा ऐसी मुखशोभा
सर्वांगी भूषणे जांबूनदगाभा,
नासाग्री मुक्ताफळ दिनमणीची प्रभा
भक्तजनाते अभय देसी तू अंबा।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
अंबे भक्तांसाठी होसी साकार
नातरी जगजीवन तू नव्हसी गोचर,
विराटरूपा धरूनी करीसी व्यापार
त्रिगुणी विरहीत सहीत तुज कैचा पार।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
त्रितापतापे श्रमलो निजवी निजसदनी
अंबे सकळारंभे राका शशीवदनी,
अगमे निगमे दुर्गे भक्तांचे जननी
पद्माजी बाबाजी रमला तव भजनी ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी,
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी।
इसकी आरती के अलावा Durga Chalisa, Durga Kavach Lyrics और Durga Stotram के पाठ को भी देवी की उपासना में शामिल किया जा सकता है और माता के आशीर्वाद और पाठ के अनेकों लाभ को प्राप्त कर जीवन को साकार बनाया जा सकता है।
Shanta Durgechi Aarti की विधि
इसे सही विधि और नियमों के साथ किया जाए तो यह भक्तों को देवी की कृपा, शांति और समृद्धि प्रदान करती है। नीचे शांतादुर्गेची आरती की विधि दी गई है:
- स्नान: आरती से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान: आरती सुबह और शाम के समय करना शुभ माना जाता है। इसे मंदिर या घर के पूजा स्थल में, देवी शांतादुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने करें। पूजा स्थान चयन करने के बाद उससे अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
- मूर्ति स्थापना: पूजा स्थान पर माता की मूर्ति को विधि पूर्वक स्थापित कर दें।
- दीपक जलाएं: देवी को अर्पित करने के लिए फूल, नारियल, अक्षत (चावल), कुमकुम, चंदन, और गंध रखें और प्रसाद के रूप मिठाई और फल भी तैयार रखें। माता के मूर्ति के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और धुप को भी जला लें। यह पूजा के लिए स्वच्छ वातावरण प्रदान करता है।
- ध्यान: देवी शांतादुर्गा का ध्यान करें। उनके शांतिमय और करुणामय स्वरूप का स्मरण करें। ध्यान के लिए आप “ॐ शांतादुर्गायै नमः” मंत्र का जाप भी कर सकते है।
- आरती गायन: देवी के सामने दीपक और कर्पूर लेकर आरती करें। शांता दुर्गेची आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाएं। प्रत्येक शब्द को स्पष्टता और भावपूर्ण ढंग से उच्चारित करें।
- प्रसाद: आरती के बाद देवी को प्रसाद अर्पित करें। चढ़ाए गए प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- प्रार्थना: आरती के बाद देवी से अपने परिवार, समाज और स्वयं के कल्याण की प्रार्थना करें।
देवी शांतादुर्गा की आरती श्रद्धा और भक्ति से करें। इससे जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
आरती करने के लाभ
इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन में कई लाभ होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- मन की शांति: इस आरती का पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। देवी शांतादुर्गा की कृपा से मन में शांति का अनुभव होता है, जिससे तनाव और मानसिक परेशानियाँ दूर होती हैं।
- संकटों से मुक्ति: देवी शांतादुर्गा को सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को नष्ट करने वाली देवी माना जाता है। आरती का नियमित पाठ जीवन में आने वाले कष्टों और समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- धार्मिक उन्नति: यह आरती भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। यह देवी के प्रति श्रद्धा और समर्पण को बढ़ाती है, जो आत्मिक शांति और साधना में मददगार साबित होती है।
- नकारात्मकता: इनके आशीर्वाद नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत और असुरों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह आरती घर या पूजा स्थल से नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है।
- धन और समृद्धि: देवी शांतादुर्गा की पूजा से घर में धन और समृद्धि का वास होता है। यह आरती धन और वैभव की प्राप्ति के लिए शुभ मानी जाती है।
- सुख-समृद्धि: इस आरती का नियमित पाठ परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है। देवी के आशीर्वाद से परिवार में प्रेम और सद्भावना बनी रहती है।
- भक्ति में वृद्धि: आरती एक भक्तिपूर्ण साधना है, जो भक्तों को भगवान से जोड़ने और उनके प्रेम में वृद्धि करने का कार्य करती है।
- मुक्ति: देवी शांतादुर्गा की कृपा से बुरी आदतों, जैसे कि नशे, गलत कार्यों या मानसिक अशांति से मुक्ति मिलती है।
आरती के नियमित पाठ से न केवल बाहरी संकट दूर होते हैं, बल्कि यह आंतरिक शांति और दिव्य आशीर्वाद भी प्रदान करती है, जो भक्तों के जीवन को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाता है।
FAQ
क्या शांतादुर्गेची आरती का नियमित पाठ किया जा सकता है?
हां, यह आरती नियमित रूप से की जा सकती है। इसका नियमित पाठ भक्तों को मानसिक शांति और देवी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
क्या इस आरती के लिए किसी विशेष पूजा की आवश्यकता होती है?
इस आरती के लिए कोई विशेष पूजा नहीं चाहिए। बस देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर, श्रद्धा और भक्ति के साथ आरती का पाठ करें।
क्या इस आरती के साथ अन्य पूजा विधियों का पालन करना जरूरी है?
यह आरती स्वयं में पूरी होती है, लेकिन पूजा के दौरान देवी को पुष्प, नैवेद्य (फल या मिठाई), और दीपक अर्पित करना आदर्श होता है।
क्या शांतादुर्गेची आरती का पाठ परिवार के सभी सदस्य एक साथ कर सकते हैं?
हां, पूरे परिवार के सदस्य मिलकर यह आरती कर सकते हैं। इससे घर में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।