भगवान शनि देव अपने भक्तों के सच्चे हितैषी हैं। वे न्याय के देवता हैं, जो भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी भजन उनकी दया, कृपा और भक्तों पर किए गए उपकारों का गुणगान करता है। यह भजन हमें उनकी उपासना करने और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाने के लिए प्रेरित करता है।
Jai Jai Jai Shree Shanidev Bhaktan Hitkari
जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी,
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महातारी ,
जय जय जय शनि देव…..
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी,
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
जय जय जय शनि देव…..
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
जय जय जय शनि देव…..
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी,
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी,
जय जय जय शनि देव…..
देव दनुज ऋषि मुनी सुमीरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी,
जय जय जय शनि देव……
शनि देव की कृपा से जीवन के सभी संकट समाप्त होते हैं और भक्तों को आत्मबल प्राप्त होता है। उनकी भक्ति से हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक होने और सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यदि यह भजन आपको भक्तिभाव से भर दे, तो शनि चालीसा, शनि अष्टक, शनि स्तोत्र, और शनि देव की आरती को भी पढ़ें और शनि देव की असीम कृपा का अनुभव करें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩