शैलपुत्री माता की कथा | Shailputri Mata Ki Katha : देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप की दिव्य गाथा

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है, जिनमें प्रथम दिन शैलपुत्री माता की कथा सुनने और उनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। Shailputri Mata Ki Katha हमें बताती है कि पूर्व जन्म में जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव के अपमान को सहन नहीं कर पाईं, तो उन्होंने योग अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया।

भक्तजन इस कथा का श्रवण कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं। यह कथा माँ के तप, त्याग और भक्ति का परिचायक है, जो हमें जीवन में धैर्य और आत्मबल बढ़ाने की प्रेरणा देती है। यहां हमने खास आपके लिए Mata Shailputri Ki Katha को विस्तार से उपलब्ध कराया है-

शैलपुत्री माता की कथा

Shailputri Mata Ki Katha

देवी सती का पूर्व जन्म

दक्ष यज्ञ और सती का अपमान

यज्ञ में आत्मदाह

भगवान शिव का क्रोध और दक्ष यज्ञ का विनाश

शैलराज हिमालय की पुत्री – माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री का स्वरूप


शैलपुत्री माता की कथा न केवल आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग दिखाती है, बल्कि यह हमें हमारे जीवन में संयम, धैर्य और आत्म-शक्ति को विकसित करने की प्रेरणा भी देती है। माँ की पूजा और आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आप भी Mata Shailputri Ki Katha को सुने और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें।

माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन भक्तजन माँ का ध्यान, स्तुति, और मंत्र जाप कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माता की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  • घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें।
  • माता को सफेद फूल, दूध और शुद्ध घी अर्पित करें।
  • “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • माँ की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

FAQ

शैलपुत्री माता का वाहन कौन सा है और यह क्या दर्शाता है?

माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है। यह उनके साहस, धैर्य और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

कथा सुनने से क्या लाभ होता है?

शैलपुत्री माता से संबंधित प्रमुख शक्तिपीठ कौन-कौन से हैं?

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