प्रथमं शैलपुत्री, यह पवित्र मंत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना का प्रतीक है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, जिसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। Prathamam Shailputri का अर्थ है – सबसे पहले मां शैलपुत्री की आराधना। माता शैलपुत्री का नाम ‘शैल’ यानी पर्वत और ‘पुत्री’ यानी पुत्री से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
मां शैलपुत्री को अखंड पवित्रता, दैवीय शक्ति और अद्वितीय सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन जब भक्त मां के Prathamam Shailputri Cha मंत्र का जाप करते हैं, तो उनकी पूजा फलदायी मानी जाती है और जीवन में सुख, समृद्धि एवं शांति का संचार होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां शैलपुत्री की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। यहां हमने आपके लिए Prathamam Shailputri Cha Lyrics को उपलब्ध कराया है-
Prathamam Shailputri
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी,
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च,
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:,
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्म्रणव महात्मना॥

नवरात्रि के पहले दिन प्रथमं शैलपुत्री मंत्र का जाप कर मां शैलपुत्री की आराधना करना भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। माता शैलपुत्री, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अतः इस पवित्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अवश्य करें और Prathamam Shailputri Cha मंत्र का जाप करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
इसका पाठ करने की विधि
इस मंत्र का जाप करने के लिए भक्त को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ विधि-विधान का पालन करना चाहिए, ताकि मां की कृपा शीघ्र प्राप्त हो सके। आइए जानते हैं इस मंत्र के जाप की सही और प्रभावशाली विधि-
- स्नान: मंत्र जाप प्रारंभ करने से पहले स्नान करना और शुद्ध वस्त्र धारण करना आवश्यक होता है।
- पूजा स्थल: स्नान के बाद घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां एक चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं, धूप-अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें और पूजा आरंभ करें।
- संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले अपने हाथ में गंगाजल या शुद्ध जल लेकर संकल्प लें। संकल्प लेते हुए मन ही मन मां शैलपुत्री से प्रार्थना करें। संकल्प यह दर्शाता है कि आप पूरे मन और भक्ति भाव से माता का आह्वान कर रहे हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यह जाप कर रहे हैं।
- मंत्र जाप: संकल्प लेने के बाद आंखें बंद करें और पूरे मन से मां शैलपुत्री के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें। मंत्र जाप के लिए आप रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करें। जाप करते समय आपका ध्यान केवल मां शैलपुत्री के दिव्य स्वरूप पर केंद्रित होना चाहिए।
- एकाग्रता: मंत्र जाप करते समय मन को पूरी तरह से शांत रखें और मां शैलपुत्री के दिव्य स्वरूप का स्मरण करें। यह अनुभव करें कि मां शैलपुत्री की कृपा और ऊर्जा आपके चारों ओर प्रवाहित हो रही है और आपके समस्त दुख और कष्ट समाप्त हो रहे हैं।
- भोग: जब आपका मंत्र जाप पूर्ण हो जाए, तो मां शैलपुत्री को फल, मिष्ठान, नारियल, या पंचामृत का भोग अर्पित करें। भोग अर्पित करने के बाद मां के चरणों में हाथ जोड़कर प्रणाम करें और अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
- आरती करें: भोग अर्पित करने के बाद मां शैलपुत्री की आरती करना अत्यंत शुभ होता है। आरती के दौरान घंटी बजाएं और पूरे भक्ति भाव से जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी भजन या आरती गाएं। आरती के बाद मां के चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
- प्रसाद वितरण: आरती के बाद माता के भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और घर के सभी सदस्यों में प्रसाद का वितरण करें। प्रसाद ग्रहण करने के बाद पुनः हाथ जोड़कर मां शैलपुत्री से प्रार्थना करें।
यदि आप पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ नौ दिनों तक इस मंत्र का जाप करें, तो मां आपके जीवन के सभी संकटों को समाप्त कर देती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
FAQ
यदि मैं मंत्र का सही उच्चारण न कर पाऊं तो क्या मंत्र जाप निष्फल हो जाएगा?
नहीं, ऐसा नहीं है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप सही उच्चारण के साथ मंत्र जाप करने का प्रयास करें।
क्या इस मंत्र का जाप केवल नवरात्रि के पहले दिन ही करना चाहिए?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप इस मंत्र का जाप किसी भी दिन कर सकते हैं।
क्या मंत्र का जाप खाली पेट करना चाहिए?
यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि आप यह मंत्र ब्रह्म मुहूर्त के बीच खाली पेट और पवित्र मन से करते हैं तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
क्या मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष माला जरूरी है?
नहीं, रुद्राक्ष माला आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि आप रुद्राक्ष माला या चंदन की माला से मंत्र जाप करते हैं तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱