वाराणसी, जिसे काशी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे पवित्र और धार्मिक स्थलों में से एक है। इस पावन नगरी में स्थित शैलपुत्री माता मंदिर का विशेष महत्व है। Shailputri Mata Mandir माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री को समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है और इस दिन यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है।

Shailputri Mata Ka Mandir में हर दिन सैकड़ों भक्त माता के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता से आशीर्वाद मांगते हैं। मंदिर का वातावरण अत्यंत दिव्य और भक्तिमय है, जहाँ आते ही श्रद्धालुओं को अद्भुत शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। इस आर्टिकल में हम इस मंदिर से सम्बंधित सभी जानकरी बतायेगें –
शैलपुत्री माता कौन हैं?
माता शैलपुत्री, माँ दुर्गा के नौ रूपों में से पहला रूप मानी जाती हैं। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। शैलपुत्री का अर्थ होता है “पर्वतों की पुत्री“। यह नाम माता को इसलिए मिला क्योंकि यह भगवान हिमालय के घर जन्मी थीं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री ने पिछले जन्म में सती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव की पत्नी थीं। अपने पिता प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमान के कारण सती ने यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में उन्होंने हिमालय के घर जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं।
शैलपुत्री माता मंदिर की पौराणिक मान्यता
- नवरात्रि में विशेष पूजा: शैलपुत्री माता मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन होता है। हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से यहाँ आते हैं और माता के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
- मानसिक और शारीरिक शांति: माता शैलपुत्री के दर्शन मात्र से व्यक्ति के मन और शरीर को शांति प्राप्त होती है। भक्त यह मानते हैं कि माता के आशीर्वाद से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
- मनोकामना पूर्ति का मंदिर: माता के दरबार में आकर यदि सच्चे मन से कोई भक्त प्रार्थना करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि प्रतिदिन यहाँ भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
शैलपुत्री माता मंदिर कैसे पहुंचे?
यदि आप Shailputri Mata Mandir In Varanasi के दर्शन करना चाहते हैं, तो यहाँ पहुंचना काफी आसान है। वाराणसी शहर में पहुँचने के लिए सड़क, रेल और वायु मार्ग के बेहतर विकल्प मौजूद हैं।
- रेलवे मार्ग से कैसे पहुंचे?
- वाराणसी जंक्शन (कैंट रेलवे स्टेशन): यह स्टेशन मंदिर से लगभग 10 से 15 मिनट की दूरी पर स्थित है। यहाँ से ऑटो, टैक्सी या स्थानीय बस द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- मंडुआडीह रेलवे स्टेशन: यह स्टेशन मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। स्टेशन से ऑटो, साइकिल रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे: वाराणसी शहर भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यदि आप वाराणसी के स्थानीय क्षेत्र से आ रहे हैं, तो ऑटो-रिक्शा, साइकिल-रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
मंदिर का पता
- लोकेशन: 82P9+RF7 मंदिर, शैलपुत्री, जलालीपुरा, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक।
माता शैलपुत्री की पूजा विधि
यदि आप माता शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के पहले दिन यह विधि अपनाएं:
- प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- माता की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें।
- सफेद फूल, सफेद मिठाई और घी का भोग अर्पित करें।
- माता के मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का 108 बार जाप करें।
- माता की आरती करें और परिवार सहित भोग ग्रहण करें।
यह पूजा विधि करने से माता शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शैलपुत्री माता के दर्शन का फल
माता शैलपुत्री के दर्शन और पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- आर्थिक स्थिति में सुधार।
- परिवार में सुख-शांति का वास।
- बीमारियों से मुक्ति।
- मनोकामना पूर्ति।
- वैवाहिक जीवन में सुख।
भक्तों का यह मानना है कि माता के दर्शन और पूजा से उनके जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।
शैलपुत्री माता मंदिर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- यह मंदिर वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
- नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है।
- माता को विशेष रूप से सफेद वस्त्र, सफेद मिठाई और घी का भोग अर्पित किया जाता है।
- यहाँ हर दिन सुबह और शाम आरती का विशेष महत्व होता है।
यदि आप आध्यात्मिक शांति, सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति की इच्छा रखते हैं, तो एक बार शैलपुत्री माता मंदिर, वाराणसी के दर्शन अवश्य करें। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत स्रोत भी है। माँ शैलपुत्री की कृपा से आपके जीवन में हर प्रकार का कष्ट दूर हो सकता है और अपार सुख-समृद्धि प्राप्त हो सकती है। तो आइए, इस नवरात्रि माता के दरबार में शीश नवाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
FAQ
इनके मंदिर में कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
मंदिर में शैलपुत्री माता की आरती, शैलपुत्री चालीसा का पाठ, और शैलपुत्री का मंत्र का जाप किया जाता है, जिससे भक्तों को माँ की कृपा प्राप्त होती है।
मंदिर जाने का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि, माँ के दर्शन के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।
मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
माँ शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं और उन्हें माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप माना जाता है, जिनकी पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile