माता शैलपुत्री, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में प्रथम स्वरूप मानी जाती हैं। शैलपुत्री माता की आरती भक्तों के लिए एक दिव्य स्रोत है जो उनके हृदय में भक्ति और श्रद्धा का संचार करता है। जब श्रद्धालु Shailputri Mata Ki Aarti गाते हैं, तो वातावरण भक्तिमय हो उठता है और माँ की कृपा प्राप्त होती है। यहां हमने आपके लिए Shailputri Mata Ki Aarti Lyrics को नीचे उपलब्ध कराया है-
Shailputri Mata Ki Aarti
शैलपुत्री माँ बैल असवार,
करें देवता जय जय कार।
शिव-शंकर की प्रिय भवानी,
तेरी महिमा किसी ने न जानी।
पार्वती तू उमा कहलावें,
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें।
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू,
दया करें धनवान करें तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी,
आरती जिसने तेरी उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो,
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुन्दर दीप जला के,
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें,
प्रेम सहित फिर शीश झुकायें।
जय गिरराज किशोरी अम्बे,
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे।
मनोकामना पूर्ण कर दो,
चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो।

Shailputri Mata Ki Aarti का श्रद्धा और भक्ति से गान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माँ शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं और उनकी आराधना से मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है। अगर आप शैलपुत्री चालीसा का पाठ करना चाहते हैं या शैलपुत्री माता की कथा पढ़ना चाहते हैं, तो यह आपको उनकी महिमा को और गहराई से समझने में मदद करेगा। साथ ही, शैलपुत्री का मंत्र का जाप करने से साधक को आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
Mata Shailputri Ki Aarti करने की विधि
सही विधि और संकल्प के साथ आरती करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं शैलपुत्री माता की आरती करने की विस्तृत विधि:
- स्वच्छता: आरती करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो लाल या सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि ये माँ दुर्गा को अत्यंत प्रिय हैं।
- पूजा स्थल: जहाँ आपको माता शैलपुत्री की पूजा करनी है, उस स्थान को साफ और शुद्ध करें और माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
- दीपक जलाएं: पूजा स्थल पर घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती प्रज्वलित करें और माता को ताजे पुष्प, चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल) और भोग अर्पित करने की सामग्री रखें। माता को सफेद फूल और सफेद रंग की चीज़ें अर्पित करें।
- आह्वान: सबसे पहले आँखें बंद करें और माँ शैलपुत्री का ध्यान करें और हाथ जोड़कर माँ का आह्वान करें और उनसे अपने घर में विराजने की प्रार्थना करें। और आह्वाहन मंत्र ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः का 11 या 21 बार जाप करें।
- आरती थाली: माता की आरती करने के लिए एक थाली में घी का दीपक रखें। यदि संभव हो तो पंचमुखी दीपक जलाएं, जो माँ को अधिक प्रिय होता है। दीपक के साथ कर्पूर (कपूर) भी प्रज्वलित करें, जिससे वातावरण सुगंधित और शुद्ध होगा।
- शंख और घंटी: आरती शुरू करने से पहले शंखनाद करें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। शंख बजाने के बाद घंटी बजाएं और फिर आरती गाना प्रारंभ करें।
- आरती गान: आरती की थाली को धीरे-धीरे माता की प्रतिमा के सामने थाली को घड़ी की दिशा (Clockwise) में घुमाएं।पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से Shailputri Mata Rani Ki Aarti गाएं। आरती थाली को चार बार माता के चरणों में, दो बार नाभि के पास और तीन बार मुख के पास घुमाएं। आरती के दौरान अपने मन को पूरी तरह माँ की भक्ति में लगाएं और मन ही मन माता का स्मरण करें।
- प्रसाद वितरण: आरती समाप्त होने के बाद माता को प्रसाद (मिठाई, फल, पंचामृत, या मेवा) अर्पित करें और इसके बाद माता का प्रसाद सभी भक्तों में बाँटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- प्रार्थना करें: अंत में माता शैलपुत्री से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की विनती करें और अपनी कठिनाइयों के समाधान के लिए माँ से मार्गदर्शन प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
- समर्पण: हाथ जोड़कर माता के चरणों में प्रणाम करें और उनके आशीर्वाद की अनुभूति करें और माता से अपने परिवार और समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना करें।
Mata Shailputri Ki Aarti करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक शांति और शक्ति भी प्राप्त होती है। माता की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
FAQ
आरती कब और कैसे करनी चाहिए?
माता की आरती नवरात्रि के पहले दिन विशेष रूप से की जाती है। यह सुबह और शाम के समय की जा सकती है।
इनकी आरती करने से क्या लाभ होते हैं?
आरती करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
क्या माता शैलपुत्री की आरती सिर्फ नवरात्रि में ही करनी चाहिए?
नहीं, भक्तजन किसी भी दिन श्रद्धा भाव से माता की आरती कर सकते हैं। हालांकि, नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा और आरती का विशेष महत्व है।
आरती कितनी बार करनी चाहिए?
आमतौर पर आरती सुबह और शाम दो बार की जाती है, लेकिन यदि समय न हो तो दिन में एक बार भी कर सकते हैं।

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile