माँ संतोषी को संतोष, सुख और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से जीवन में शांति, धैर्य और सकारात्मकता आती है। ऐसे में संतोषी चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती। Santoshi Chalisa में 40 चौपाइयों द्वारा माँ की महिमा, उनके चमत्कार और कृपा का वर्णन करती है, जो भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।
जो भी श्रद्धापूर्वक Santoshi Maa Chalisa का पाठ करता है, उसके जीवन से कष्ट दूर होते हैं और उसे संतोष व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से शुक्रवार के दिन इसका पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यदि आप भी माँ संतोषी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए इस चालीसा का नित्य पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सुखमय बनाएं-
Santoshi Chalisa
दोहा
श्री गणपति पद नाय सिर, धरि हिय शारदा ध्यान॥
संतोषी मां की करुँ, कीर्ति सकल बखान॥०॥
चौपाई
जय संतोषी मां जग जननी॥
खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी॥१॥
गणपति देव तुम्हारे ताता॥
रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता॥२॥
माता पिता की रहौ दुलारी॥
किर्ति केहि विधि कहुं तुम्हारी॥३॥
क्रिट मुकुट सिर अनुपम भारी॥
कानन कुण्डल को छवि न्यारी॥४॥
सोहत अंग छटा छवि प्यारी॥
सुंदर चीर सुनहरी धारी॥५॥
आप चतुर्भुज सुघड़ विशाल॥
धारण करहु गए वन माला॥६॥
निकट है गौ अमित दुलारी॥
करहु मयुर आप असवारी॥७॥
जानत सबही आप प्रभुताई॥
सुर नर मुनि सब करहि बड़ाई॥८॥
तुम्हरे दरश करत क्षण माई॥
दुख दरिद्र सब जाय नसाई॥९॥
वेद पुराण रहे यश गाई॥
करहु भक्ता की आप सहाई॥१०॥
ब्रह्मा संग सरस्वती कहाई॥
लक्ष्मी रूप विष्णु संग आई॥११॥
शिव संग गिरजा रूप विराजी॥
महिमा तीनों लोक में गाजी॥१२॥
शक्ति रूप प्रगती जन जानी॥
रुद्र रूप भई मात भवानी॥१३॥
दुष्टदलन हित प्रगटी काली॥
जगमग ज्योति प्रचंड निराली॥१४॥
चण्ड मुण्ड महिषासुर मारे॥
शुम्भ निशुम्भ असुर हनि डारे॥१५॥
महिमा वेद पुरनन बरनी॥
निज भक्तन के संकट हरनी ॥१६॥
रूप शारदा हंस मोहिनी॥
निरंकार साकार दाहिनी॥१७॥
प्रगटाई चहुंदिश निज माय॥
कण कण में है तेज समाया॥१८॥
पृथ्वी सुर्य चंद्र अरु तारे॥
तव इंगित क्रम बद्ध हैं सारे॥१९॥
पालन पोषण तुमहीं करता॥
क्षण भंगुर में प्राण हरता॥२०॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं॥
शेष महेश सदा मन लावे॥२१॥
मनोकमना पूरण करनी॥
पाप काटनी भव भय तरनी॥२२॥
चित्त लगय तुम्हें जो ध्यात॥
सो नर सुख सम्पत्ति है पाता॥२३॥
बंध्या नारि तुमहिं जो ध्यावैं॥
पुत्र पुष्प लता सम वह पावैं॥२४॥
पति वियोगी अति व्याकुलनारी॥
तुम वियोग अति व्याकुलयारी॥२५॥
कन्या जो कोइ तुमको ध्यावै॥
अपना मन वांछित वर पावै॥२६॥
शीलवान गुणवान हो मैया॥
अपने जन की नाव खिवैया॥२७॥
विधि पुर्वक व्रत जो कोइ करहीं॥
ताहि अमित सुख संपत्ति भरहीं॥२८॥
गुड़ और चना भोग तोहि भावै॥
सेवा करै सो आनंद पावै॥२९॥
श्रद्धा युक्त ध्यान जो धरहीं॥
सो नर निश्चय भव सों तरहीं॥३०॥
उद्यापन जो करहि तुम्हार॥
ताको सहज करहु निस्तारा॥३१॥
नारी सुहगन व्रत जो करती॥
सुख सम्पत्ति सों गोदी भरती॥३२॥
जो सुमिरत जैसी मन भावा॥
सो नर वैसों ही फल पावा॥३३॥
सात शुक्र जो व्रत मन धारे॥
ताके पूर्ण मनोरथ सारे॥३४॥
सेवा करहि भक्ति युक्त जोई॥
ताको दूर दरिद्र दुख होई॥३५॥
जो जन शरण माता तेरी आवै॥
ताके क्षण में काज बनावै॥३६॥
जय जय जय अम्बे कल्यानी॥
कृपा करौ मोरी महारानी॥३७॥
जो कोइ पढै मात चालीस॥
तापै करहीं कृपा जगदीशा॥३८॥
नित प्रति पाठ करै इक बार॥
सो नर रहै तुम्हारा प्य्रारा॥३९॥
नाम लेत बाधा सब भागे॥
रोग द्वेष कबहूँ ना लागे॥४०॥
दोहा
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास,
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास॥
इति संतोषी माता चालीसा
संतोषी चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और संतोष का संचार करता है। यह चालीसा माँ संतोषी की असीम कृपा को प्राप्त करने का सरल और प्रभावी मार्ग है। उनके आशीर्वाद से हर कठिनाई दूर होती है और जीवन में समृद्धि, धैर्य और मानसिक शांति आती है। जो व्यक्ति इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ता है, उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उसे कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होती।
इसलिए, यदि आप भी माँ संतोषी से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं और जीवन में संतोष की प्राप्ति चाहते हैं, तो Santoshi Mata Ki Chalisa का पाठ करें और उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करें।
चालीसा का पाठ करने की विधि
- शुद्धता और स्नान: Santoshi Chalisa का पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता को बढ़ाता है, जिससे पूजा में श्रद्धा और ध्यान केंद्रित रहता है।
- पूजा स्थल: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और माँ संतोषी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। सफेद या पीले कपड़े पर इसे रखें और गंगाजल से पवित्र करें।
- दीपक और धूप: घी का दीपक जलाकर माँ संतोषी को धूप-अगरबत्ती अर्पित करें। पुष्प और मिठाई चढ़ाकर पूजा का आरंभ करें। यह माँ की कृपा प्राप्त करने का शुभ संकेत है।
- पाठ: Santoshi Mata Chalisa का पाठ करते समय ध्यान लगाकर मंत्रों का उच्चारण करें। प्रत्येक श्लोक का उच्चारण सही और स्पष्ट रूप से करें। ध्यान केंद्रित करके पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और माँ संतोषी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- प्रसाद वितरण: पाठ के बाद, अर्पित भोजन को प्रसाद रूप में ग्रहण करें। इसे परिवार के सभी सदस्यों में बाँटें और जरूरतमंदों को भी दें। प्रसाद वितरण से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह एक शुभ संकेत है कि माँ संतोषी की कृपा आपके जीवन में बनी रहे।
FAQ
क्या चालीसा का पाठ बिना गुरु के किया जा सकता है?
हां, चालीसा का पाठ बिना गुरु के भी किया जा सकता है, लेकिन इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ना चाहिए।
क्या इस चालीसा का पाठ बच्चे भी कर सकते हैं?
जी हां, इस चालीसा का पाठ बच्चे भी कर सकते हैं, अगर वे इसे श्रद्धा और सच्चे दिल से करते हैं। यह उन्हें मानसिक शांति और संतोष प्रदान करता है।
क्या इस चालीसा का पाठ करने से विवाह के संबंध में कोई लाभ होता है?
माता के चालीसा का नियमित पाठ विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह उनके जीवन में सुखमय संबंध और सौभाग्य लाता है।
क्या संतोषी माता की चालीसा का पाठ पूरे परिवार को करना चाहिए?
अगर पूरे परिवार के सदस्य मिलकर इस चालीसा का पाठ करते हैं, तो इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।
मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱