Sai Ke Dar Pe Jo Aaya
साँईं के दर पे जो आया,
जिसने जो चाहा वो पाया,
हुई है खता क्या साँईँ,
क्यों तुमने मुझको भुलाया?
साँईं राम…. साँईँ श्याम…..
दर पे साँई के जो भी आये,
दर से खाली कभी ना वो जाए,
दर से खाली कभी ना वो जाए,
झोली खाली लाये वो लेकिन,
झोली भर कर के वो लेके जाए,
साँई के दर पे जो आये……
साँईं राम…. साँईँ श्याम…..
मैं बालक साँई तेरा
दर पे अपने तू मुझको बुलाले,
गलतियाँ माफ कर दे तू मेरी,
तू गले से अपने लगा ले,
साँई के दर पे जो आये……

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म