भक्ति में सबसे महत्वपूर्ण होती है सच्ची श्रद्धा और प्रेम, न कि बाहरी दिखावा। ना मैं फूल लाया हूँ, ना प्रसाद लाया हूँ भजन इसी भावना को प्रकट करता है। जब भक्त साईं बाबा के दरबार में पहुंचता है, तो वह अपने हाथों में कोई भौतिक उपहार नहीं, बल्कि अपने हृदय की सच्ची भक्ति और प्रेम लेकर आता है। बाबा के चरणों में सच्ची श्रद्धा और समर्पण ही सबसे बड़ा अर्पण होता है, जो इस भजन के माध्यम से प्रकट किया गया है।
Na Main Full Laya Hu Na Prasad Laya Hu
ना मैं फूल लाया हूँ,
ना प्रसाद लाया हूँ,
साईं बाबा से कहने,
दिल की बात आया हूँ।।
कब रंग अपना मुझपे चढाओगे,
कब अपना दीवाना बनाओगे,
ये फरियाद लाया हूँ,
ये मुराद लाया हूँ,
साईं बाबा से कहने,
दिल की बात आया हूँ।।
जग में जियूं तो मैं तेरा होके जियूं,
तेरी भक्ति का रस उम्र भर मैं पियूं,
गमो का सताया हूँ,
दुखो का सताया हूँ,
साईं बाबा से कहने,
दिल की बात आया हूँ।।
साईं अपने भक्तो की विनती सुनो,
ये नादान ये ना इनकी गलती गिनो,
खाली हाथ आए है,
कुछ ना साथ लाए है,
साईं बाबा से कहने,
दिल की बात आया हूँ।।
ना मैं फूल लाया हूँ,
ना प्रसाद लाया हूँ,
साईं बाबा से कहने,
दिल की बात आया हूँ।।
साईं बाबा भक्तों के प्रेम और श्रद्धा को सबसे अधिक महत्व देते हैं। उनकी भक्ति में कोई दिखावा नहीं, बस सच्चे मन से उनका स्मरण करना ही पर्याप्त है। साईं बाबा की इस अनमोल भक्ति को और अधिक महसूस करने के लिए अन्य भजनों को भी पढ़ें, जैसे “साईं आपकी कृपा से सब काम हो रहा है”, “फरियादी तेरा आया साईं तेरी शिरडी में”, “वो शिरडी धाम है मेरा साईं बाबा” और “साईं नाम वाली लगन लगा दे, बना दे मोहे दीवाना”। साईं बाबा के चरणों में श्रद्धा और सबूरी के साथ समर्पित हों और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करें। ????✨

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म