Main Joganiya Sai Ram Ki
फिक्र नहीं है सुब्हो शाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(1)
साईं संध्या में जब आऊं
सबसे पहले जोत जगाऊ
नतमस्तक फिर मैं हो जाऊं
साईं चरणों में फूल चढ़ाऊ
चिंता नहीं है किसी काम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(2)
साईं की धुन में रम जाती हूं
साईं आरती करवाती हूं
मन की मुरादे जब पाती हूं
साईं संध्या करवाती हूं
लगन है मुझको शिरडी धाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(3)
साईं लगन में लग जाती हूं
नीर नयन से बरसाती हूं
शिरडी जब भी मैं जाती हूं
साईं का दर्शन कर आती हूं
छवि है जिन में राधे श्याम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की
(4)
साईं का रंग ऐसा भाया
“सोनू” ने तन मन को रगांया
बाबा ने मुझको अपना बना के
मेरे मन का फूल खिलाया
याद करूं मैं मुक्ति धाम की
जपू मैं माला साईं राम की
मैं जोगनिया साईं राम की

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म