Aao Khele Re Baba Ke Sang Holi
आओ खेले रे बाबा के संग होली,
आओ खेले रे साई के संग होली………
राधा और नन्दलाल भी खेले,
ब्रज की गोपी ग्वाल भी खेले,
बूढ़े खेले, बाल भी खेले,
खेले हम सब जोली,
आओ खेले रे बाबा के संग होली,
आओ खेले रे साई के संग होली………
आज अनोखे रंग से रंगदे,
साई के सत्संग से रंगदे,
सब को इस ढंग से रंगदे,
बोले एक ही बोली,
आओ खेले रे बाबा के संग होली,
आओ खेले रे साई के संग होली………
काला मैला रंग हटाओ,
रूप को सुंदर रूप बनाओ,
लाल अबीर गुलाल उड़ाओ,
तिलक सजाये जोली,
आओ खेले रे बाबा के संग होली,
आओ खेले रे साई के संग होली………
नाचो गाओ धूम मचाओ,
खुद बहलो सबको बेहलाओ,
‘गिरजर’ ऐसा रंग जमाओ,
घर घर हो रंगोली,
आओ खेले रे बाबा के संग होली,
आओ खेले रे साई के संग होली………

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म