साईं बाबा का स्मरण मात्र ही भक्तों के जीवन को संवार देता है। उनकी आराधना में साईं बाबा स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली और श्रद्धा से परिपूर्ण स्तोत्र माना गया है। यह स्तोत्र न केवल मन की अशांति को दूर करता है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भरता है। हमने आपके लिए यहां सम्पूर्ण Sai Baba Stotram को उपलब्ध कराया है-
Sai Baba Stotram
जय जय साईनाथा शुभ तव गाथा प्रकट ब्रह्म श्री संता ॥
जय करुणसागर सब गुण आगर अलख-असीम अनंता ॥1॥
जय सर्वज्ञानी अंतर्यामी अच्युत-अनूप- महंता ॥
जय सिद्धिविनायक शुभ फलदायक पालक जगत नियंता॥ 2॥
जय सृष्टि रचयिता धारणकर्ता सर्वश्रेष्ठ अभियंता ॥
जय सर्वव्यापी परम प्रतापी प्रेम-पयोधि प्रशांता ॥3॥
जय सहज कृपाला दीन दयाला प्रणतपाल भगवंता ॥
जय सच्चिदानंद प्रभु गोविंदा हिय कोमल अत्यंता॥4॥
जय जय अविनाशी मशिद निवासी परम पवित्र पुनीता॥
जय जन हितकारी मुनि मनिहारी सर्वसुलभ धीमंता॥5॥
जय जय शुभकारक अधमउद्धारक अतुलनीय बलवंता॥
जय कृपानिधाना सुह्रद सुजाना लोभ-मोह-मद हन्ता॥6॥
जय अहम निवारक चित्र सुधारक शुद्ध ह्रदय श्रीकांता॥
जय अजर-अजन्मा शुभ गुण धर्मा ध्यान लीन अति शांता॥7॥
जय नाथ निराला ह्रदय विशाला निरासक्त गुणवंता॥
जय वृति नियामक तृप्ति प्रदायक स्वयं सदगुरु दत्ता॥8॥
जय जय त्रिपुरारी कृष्ण मुरारी जय जय जय हनुमंता॥
जय साई भिखारी अति अनुरागी व्यापित सकल दिगंता॥9॥
गाऊँ तव लीला मधुर रसीला बोधपूर्ण वृतांता॥
बोलूँ कर जोड़ी स्तुति तोरी सुनहुँ प्रार्थना संता॥10॥
जय जय सन्यासी हरहूँ उदासी प्रेम देहुँ जीवंता॥
जय जय श्री साई अति प्रिय माई करुणा करहुँ तुरन्ता॥11॥
॥ ऊँ श्री साई ॥

2. श्री सायिनाथ महिमा स्तोत्रम्
सदा सत्स्वरूपं चिदानन्दकन्दं
जगत्संभवस्थान संहार हेतुं॥
स्वभक्तेच्छया मानुषं दर्शयन्तं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ १ ॥
भवध्वान्त विध्वंस मार्ताण्ड मीढ्यं
मनोवागतीतं मुनिर्ध्यान गम्यं॥
जगद्व्यापकं निर्मलं निर्गुणं त्वां
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ २ ॥
भवांभोधिमग्नार्दितानां जनानां
स्वपादाश्रितानां स्वभक्ति प्रियाणां॥
समुद्धारणार्थं कलौ संभवन्तं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ३ ॥
सदा निम्बवृक्षस्य मूलाधिवासात्
सुधास्राविणं तिक्तमप्य प्रियन्तं॥
तरुं कल्पवृक्षाधिकं साधयन्तं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ४ ॥
सदा कल्पवृक्षस्य तस्याधिमूले
भवद्भाव बुद्ध्या सपर्यादि सेवां॥
नृणां कुर्वतां भुक्ति मुक्ति प्रदन्तं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ५ ॥
अनेका शृता तर्क्य लीला विलासैः
समाविष्कृतेशान भास्वत्प्रभावं॥
अहंभावहीनं प्रसन्नात्मभावं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ६ ॥
सतां विश्रमाराममेवाभिरामं
सदासज्जनैः संस्तुतं सन्नमद्भिः॥
जनामोददं भक्त भद्रप्रदं तं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ७ ॥
अजन्माद्यमेकं परब्रह्म साक्षात्
स्वयं संभवं राममेवावतीर्णं॥
भवद्दर्शनात्सम्पुनीतः प्रभोऽहं
नमामीश्वरं सद्गुरुं सायिनाथम् ॥ ८ ॥
श्रीसायीश कृपानिधेऽखिलनृणां सर्वार्थसिद्धिप्रद
युष्मत्पादरजः प्रभावमतुलं धातापिवक्ताऽक्षमः॥
सद्भक्त्या शरणं कृताञ्जलिपुटः सम्प्रापितोऽस्मिप्रभो
श्रीमत्सायिपरेशपादकमलान् नान्यच्छरण्यंमम ॥ ९ ॥
सायिरूपधर राघवोत्तमं
भक्तकाम विबुध द्रुमं प्रभुम्॥
माययोपहत चित्तशुद्धये
चिन्तयाम्यहमहर्निशं मुदा ॥ १० ॥
शरत्सुधाम्शु प्रतिमं प्रकाशं
कृपात पत्रं तव सायिनाथ॥
त्वदीय पादाब्ज समाश्रितानां
स्वच्छायया तापमपाकरोतु ॥ ११ ॥
उपासना दैवत सायिनाथ
स्तवैर्मयोपासनिनास्तुतस्त्वम्॥
रमेन्मनोमे तवपादयुग्मे
भृङ्गो यथाब्जे मकरन्द लुब्धः ॥ १२ ॥
अनेक जन्मार्जित पापसङ्क्षयो
भवेद्भवत्पाद सरोज दर्शनात्॥
क्षमस्व सर्वानपराध पुञ्जकान्
प्रसीद सायीश सद्गुरोदयानिधे ॥ १३ ॥
श्रीसायिनाथ चरणामृत पूर्णचित्ता
तत्पाद सेवनरतास्सततं च भक्त्या॥
संसारजन्यदुरितौघ विनिर्गतास्ते
कैवल्यधाम परमं समवाप्नुवन्ति ॥ १४ ॥
स्तोत्रमेतत्पठेद्भक्त्या योन्नरस्तन्मनाः सदा॥
सद्गुरोः सायिनाथस्य कृपापात्रं भवेद्धृवम् ॥ १५ ॥
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवण नयनजं वा मानसं वापराधं॥
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीप्रभो सायिनाथ ॥
श्री सच्चिदानन्द सद्गुरु सायिनाथ् महराज् की जै ।
राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सायिनाध् महाराज्
श्री सच्चिदानन्द सद्गुरु सायिनाथ् महराज् की जै ।

Sai Baba Stotram का पाठ न केवल आत्मा को शांति देता है, बल्कि जीवन में स्थिरता और संतुलन भी लाता है। अगर आप साईं बाबा की भक्ति को और गहराई से अनुभव करना चाहते हैं, तो “साईं बाबा शेज आरती”, “साईं बाबा काकड़ आरती” और “साईं बाबा व्रत कथा” जैसे लेख अवश्य पढ़ें। आप चाहें तो “साईं बाबा के 108 नाम” और “साईं बाबा की कहानी” भी पढ़ सकते हैं, जो आपके विश्वास को और मजबूत करेंगे।
इसका पाठ कैसे करें ?
किसी भी पाठ को प्रभावी बनाने के लिए उसका सही विधि से पाठ करना आवश्यक होता है, इसलिए हमने एक सरल पाठ विधि को यहां बताया है-
- सही समय: प्रातःकाल (सुबह 5 से 7 बजे) और संध्या काल (शाम 6 से 8 बजे) Shirdi Sai Baba Stotram के पाठ के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।
- स्मरण: साईं बाबा की प्रतिमा या फोटो के सामने पाठ करना उत्तम रहेगा। बाबा के सामने बैठकर उनको प्रणाम करके उनका स्मरण करें ।
- आसन और स्थान: साफ-सुथरे स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। आसन के रूप में कुश, ऊन या सूती वस्त्र का आसन प्रयोग करें।
- पूजन सामग्री: पाठ से पूर्व दीपक, अगरबत्ती, फूल, चंदन, जल और नैवेद्य से साईं बाबा की पूजा करें। यदि संभव हो तो पीले फूलों और नारियल का भोग अर्पित करें।
- पाठ करें: साईं बाबा स्तोत्रम् को शांत वातावरण में श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें। पाठ के दौरान ध्यान रहे कि उच्चारण स्पष्ट और मन एकाग्र हो।
- मंत्र जाप: पाठ के बिच बीच में “ॐ साईं नमः” या “ॐ साईं राम” मंत्र का 11 बार जाप करते रहे , फिर संपूर्ण स्तोत्र का पाठ संम्पन्न करें।
- प्रार्थना: स्तोत्र के पाठ के बाद साईं बाबा से अपनी प्रार्थना करें और धन्यवाद दें। इसके पश्चात हाथ जोड़कर नमस्कार करें और प्रसाद ग्रहण करें।
अगर आप नित्य पाठ करना चाहते हैं तो हर दिन एक ही समय पर और एक ही स्थान पर करें। पाठ करते समय पूर्ण शांति रखें, बीच में कोई बात न करें, और मोबाइल आदि से ध्यान भटकने न दें।
FAQ
स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?
प्रातः या सायं काल, विशेषतः गुरुवार को करना श्रेष्ठ होता है।
क्या स्तोत्र का पाठ बिना पूजा के किया जा सकता है?
हाँ, केवल मन से श्रद्धा और एकाग्रता होनी चाहिए।
क्या इस स्तोत्र को किसी विशेष मंत्र के साथ पढ़ना चाहिए?
आप चाहें तो “ॐ साईं नमः” के साथ पाठ से पहले और बाद में जप कर सकते हैं।
स्तोत्र पढ़ने से क्या लाभ होता है?
मन की शांति, मानसिक संतुलन और साईं बाबा की कृपा प्राप्त होती है।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩